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________________ ( १६ ) आलाप पद्धति वचन गोचर कुछ काल स्थिर रहनेवाली है वे व्यंजन पर्याय होती है। जो सूक्ष्म वचन अगोचर प्रतिसमय नाशवान बदलनेवाले है वे अर्थ पर्याय है । संसारीजीवके ज्ञानगुणके कुमति कुश्रुत-कुअवधि मतिश्रुत अवधि मनःपर्यय ये सात विभाव गुण व्यंजन पर्याय है। चक्षुदर्शन अचक्षुदर्शन अवधिदर्शन ये संसारीजीवके दर्शन गुणके विभाव गुण व्यंजन पर्याय है। ये सब ज्ञानदर्शन गणके क्षयोपशमिक भाव है इसलिये विभाव गुण पर्याय है। स्वभाव द्रव्य व्यजन पर्यायाः चरमशरीरात किचित् न्यूनसिद्धपर्यायाः ॥ २२ ॥ अंतिम शरीरसे किंचित् न्यून आकार सिद्धजीवोंके स्वभाव द्रव्य व्यंजन पर्याय है। यह सिद्धपर्याय सादि होकर अनन्तकाल तक रहती है। स्वभाव गुण व्यंजन पर्यायाः अनंतचतुष्टय रूपाः जीवस्य ।। २३ ॥ ___ मक्त जीवके अनन्तज्ञान अनन्त दर्शन अनन्त सुख अनन्त वर्य ये स्वभाव गुण व्यंजन पर्याय है। ये स्वभाव पर्याय सादि अनन्त काल तक रहते है। ये क्षायिक भाव है। १ ज्ञानावरण कर्मके क्षयसे अनन्तज्ञान ( केवलज्ञान पर्याय ) २ दर्शनावरण कर्मके क्षयसे अनन्त दर्शन ( केवल दर्शन ) ३ मोहनीय कर्मके क्षयसे अनन्त सुख Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001365
Book TitleAalappaddhati
Original Sutra AuthorDevsen Acharya
AuthorBhuvnendrakumar Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1989
Total Pages168
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Nyay
File Size7 MB
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