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________________ इसलिये विजाति द्रव्यकी अपेक्षासे इन अचेतन द्रव्योका वह अचेतनत्व गुण विशेष गुण कहलाता है। उसी प्रकार अमूर्तस्व गुण पुद्गल द्रव्यके विना अन्य पांचोहीं चेतन अचेतन द्रव्योमे पाया जाता है । इसलिये वह अमूर्त व गुण पांचोही अमूर्त द्रव्योंकी अपेक्षासे सामान्य गुण कहलाता है। किन्तु वह अमूर्तत्व गुण मूर्त पुद्गल द्रव्यमे नही पाया जाता । इसलिये विजाति द्रव्य अपेक्षासे वही अमूर्तत्व गुण पांचो अमूर्त द्रव्योंका विशेष गुण कहलाता है। इति गुणाधिकार समाप्त अथ पर्याय अधिकार गुण विकाराः पर्यायाः । ते द्वेधा। अर्थव्यंजन-पर्याय-भेदात ।। १५ ।। ___ अर्थ- द्रव्य तथा गणोंके विकार परिणमनको पर्याय कहते है। पर्याय दो प्रकारके होते है । १ अर्थ पर्याय २ व्यंजन पर्याय । १ अर्थपर्याय- गुणोंके विकारको परिणमनको गुणपर्याय अथवा अर्थपर्याय कहते है। २ व्यंजनपर्याय- द्रव्यके विकारको परिणमनको द्रव्यपर्याय अथवा व्यंजन पर्याय कहते है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001365
Book TitleAalappaddhati
Original Sutra AuthorDevsen Acharya
AuthorBhuvnendrakumar Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1989
Total Pages168
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Nyay
File Size7 MB
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