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है। किन्तु विजाति अपेक्षासे वेही विशेष गुण कहलाते हैं। जैसे चेतनत्व यह गुण सब जीवोमे पाया जाता है । इसलिये जीव द्रव्यकी स्वजाति अपेक्षासे सामान्य गुण कहलाता है। किन्तु जीव द्रव्यके अतिरिक्त अन्य अजीव पांच द्रव्योंमे नही पाया जाता । अर्थात् अन्य पांच द्रव्य अचेतन है । इसलिये विजाति अपेक्षा वही चेसन गुण जीव द्रव्यका विशेष गुण कहलाता है।
इसी प्रकार मूर्तत्व गुण सब पुद्गल द्रव्योमे पाया जाता है। इसलिये वह पुद्गल द्रव्यकी स्वजाति अपेक्षासे सामान्य गुण है । किन्तु वह मूर्तत्व गुण पुद्गल द्रव्यके अतिरिक्त अन्य चेतन अचेतन पांच द्रव्योमे नही पाया जाता। इसलिये मूर्तत्व यह गुण विजाति अपेक्षा पुद्गल द्रव्यका विशेष गुण कहलाता है। तथा अचेतनत्व गुण पांच ही अचेतन द्रव्योमे पाया जाता है। इसलिये वह पांचो अचेतन द्रव्योकी जाति अपेक्षासे सामान्य गुण है। किन्तु वह अचेतनत्व गुण जोव द्रव्यमे नही पाया जाता ।
टीप-जीवके विशेष गुण- ज्ञान, दर्शन, सुख, वीर्य (शक्ति)
ज्ञानोपयोग ८ भेद- मति, श्रुत, अवधि, मनपर्यय, केवलज्ञान, कुमति कुश्रुत, कुअवधि
दर्शनोपयोग ४ भेद- चक्षु, अचक्षु, अवधि, केवलदर्शन सुख २ भेद - इंद्रियजन्य सुख अतींद्रिय सुख शक्ति २ भेद- क्षायोपशमिक शक्ति, क्षायिक शक्ति दर्शन- अंतर्मुखप्रकाश स्वसंवेदन ज्ञान- बहिर्मुखप्रकाश स्वसंवेदन
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