SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 49
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ६ ) सब द्रव्योंमे समानरूपसे पाये जाते है उनको सामान्य गुण कहते है । १ अस्तित्व - सदा सर्वकाल द्रव्यका सत् रूपसे रहना यह अस्तित्व गुण है । २ वस्तुत्व - वस्तुका सामान्य विशेषात्मक द्रव्यपर्यायात्मक होना वस्तुत्व गुण है । ३ द्रव्यत्व - द्रव्यका प्रति समय अपने गुणपर्यायोंमे अन्वरूपसे परिणमना यह द्रव्यत्व गुण है । ४ प्रमेयत्व वस्तु ज्ञेयाकार रूपसे ज्ञानका विषय बनना प्रमेयत्व गुण है । यह ५ अगुरुलघुत्व - प्रत्येक गुणके अविभागप्रतिच्छेदोमे षट्स्थान पतित हानि-वृद्धि होते हुये भी वस्तु सदा अपने स्वरूपमे प्रतिष्ठित रहना एक द्रव्यका दूसरे द्रव्यरूप न होना एक गुणका दूसरे गुणरूप न होना द्रव्यके गुण बिखरकर पृथक् न होना कम जादा न होना यह अगुरुलघुत्व गुण है । ६ प्रदेशवत्व - द्रव्य सदा अपने स्वक्षेत्र नियत प्रदेश अव - यवोंमे रहना यह प्रदेशवत्व गुण है । एकप्रदेशी पुद्गल परमाणु कालाणु निरवयव निरंश होते है । बहुप्रदेशी जीव धर्म अधर्मं आकाश द्रव्य ये सावयव कहे जाते है । पुद्गल स्कंध उपचारसे बहुप्रदेशी सावयव कहे जाते है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001365
Book TitleAalappaddhati
Original Sutra AuthorDevsen Acharya
AuthorBhuvnendrakumar Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1989
Total Pages168
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Nyay
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy