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मालाप पद्धती द्रव्ये द्रव्योपचारः, पर्याय पर्यायोपचारः, गुणे गुणोपचारः, द्रव्ये गुणोपचारः, द्रव्ये पर्यायोपचारः, गुणे द्रव्योपचारः गुणे पर्यायोपचारः, पर्याये द्रव्योपचारः पर्याय गुणोपचारः इति. नवविधोऽसद्भुत व्यवहारस्यार्थी द्रष्टव्यः ॥ २१० ॥
द्रव्य में द्रव्य का उपचार, पर्याय में पर्याय का उपचार, गुण में गुण का उपचार, द्रव्य में गुण का उपचार, द्रव्य में पर्याय का उपचार, गुण में द्रव्य का उपचार, गुण में पर्याय का उपचार, पर्याय में द्रव्यका उपचार, पर्याय में गुण का उपचार इस प्रकार असद्भुत व्यवहार नय का अर्थ नौ प्रकार से जानना चाहिये ॥ २१० ॥
उपचारः पथक नयो नास्तीतिन पथक कृतः । मुख्याभावे सति प्रयोजने निमित्त चोपचारः प्रवर्तते । सोऽपि सम्बन्धाविनाभावः, संश्लेष्म संबंध, परिणाम परिणामि संबंधः, श्रद्धाश्रद्धेय संबंधः, ज्ञानज्ञेय संबंधः, चारित्र चर्या संबंध श्चेत्यादिः सत्यार्थः, असत्यार्थः सत्यासत्यार्थश्चेत्युपचरिता सद्भूतं व्यवहार नयस्यार्थः ॥ २११ ॥
उपचार नाम का कोई नय नहीं है इसलिये उसे अलग से नहीं कहा है । मुख्य के अभाव में प्रयोजन तथा निमित्त के होने पर उपचार किया जाता हैं । यह उपचार भी अविनाभाव संबंध, संश्लेष्म संबंध, श्रद्धाश्रद्धेय संबंध, ज्ञानज्ञेय संबंध, चारित्र चर्या
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