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________________ आलाप पद्धती (८९) भेदपक्षेऽपि विशेष स्वभावानां निराधारत्वात अर्थक्रियाकारित्वाभावः। अर्थक्रियाकारित्वाभावे द्रव्यस्यापि अभावः ।। १३३ ॥ सर्वथा एकांत भेद पक्ष मानने पर भी भेद विशेष विना द्रव्य-आधारके उनमें परिणमनरुप अर्थक्रिया न होनेके कारण अर्थक्रियाकारित्व का अभाव होगा । अर्थक्रियाकारित्वके अभाव में द्रव्यका भी अभाव माननेका प्रसंग होगा ॥ (न खलु द्रव्यात् पृथग्भूतो गुणो वा पर्याय:) : अभेदपक्षेऽपि (सर्वथा) सर्वेषां एकत्वं । सर्वेषां एकत्वे अर्थक्रिया कारित्वाभावः । अर्थक्रिया कारित्वाभावे द्रव्यस्य अपि अभावः ।। १३४ ॥ सर्वथा अभेद पक्षमें सब द्रव्य एकत्व स्वभाव होंगे। सब द्रव्य सर्वथा एकत्व स्वभाव होनेसे विविध परिणमन रुप अर्थक्रिया कारित्वका अभाव होगा । अर्थक्रिया कारित्वके अभावमें तदाधार भत द्रव्यके अभाव का प्रसंग आवेगा ।। टीप- यदि पुनः एकांतेन ज्ञानं आत्मा इति भव्यते तदा ज्ञान गुणमात्रः एव आत्मा प्राप्तः । सुखादि धर्माणां अवकाशो नास्ति । तथा सुखादि धर्म समूहा भावात् आत्माभावः । आत्मनः आधार भूतस्य अभावात् आधेयभूतस्य ज्ञानस्य अपि अभावः । इति एकान्ते सति द्वयोरपि अभावः ।। (प्रवचनसार) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001365
Book TitleAalappaddhati
Original Sutra AuthorDevsen Acharya
AuthorBhuvnendrakumar Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1989
Total Pages168
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Nyay
File Size7 MB
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