________________
आलाप पद्धती
(७५)
प्रतिसमय परिणमन होने के कारण द्रव्य अनित्य स्वभाव है। प्रमाणकी दृष्टीसे द्रव्य युगपत् उत्पाद-व्यय-ध्रौव्यात्मक होनेसे नित्यानित्यात्मक है।
(अनेक) स्वभावानां एकाधारत्वान् एक स्वभावः ॥ ११० ॥
द्रव्यके अनेक स्वभाव धर्मोंका आधार भूत एक द्रव्य होने के कारण द्रव्य एक स्वभाव हैं । द्रव्यार्थिक नयसे द्रव्य एक है। एकस्य अनेक स्वभावोपलंभात अनेक स्वभावः ।। १११॥
एकही द्रव्यका अन्वयसंबंध रखनेवाले अनेक गुण-पर्याय स्वभाव होनेके कारण द्रव्य अनेक स्वभाव हैं ॥एकही द्रव्य अनन्त गुण और उसके अनन्त पर्याय इन सबमें एक द्रव्यरुप अन्वयसंबंध होते हुये अनेक ग्रुप-पर्याय रूप अनेक स्वभाव है।
गुण-गुणी आदि संज्ञादिभेदात् भेदस्वभावः ॥ ११२ ।।
गुण-गुणीमें संज्ञा-लक्षण-प्रयोजन आदि भेद अपेक्षासे द्रव्य भेदस्वभाव हैं ।। गुणोंका समुदाय गुणी एक हैं । गुण अनेक है । सद्भूत व्यवहार नय अपेक्षासे गुण- गुणीमें संज्ञा आदि भेद विवक्षासे भेद कथन किया जाता है । गुण-गुणी नाम भेद हैं। गुणी एक है गुण अनेक है संख्या भेद है । गुणका परिणमन अर्थ पर्याय हैं । इस प्रकार गुणीका परिणमन व्यंजन पर्याय है। कार्य भेद हैं।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org