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नाख्या
तेओनी केवी रीते विराधना थइ होय ? ते बतावे छे
मू-अभिहया, वत्तिया, लेसिया, संघाइया, संघट्टिया, परियाविया, किलामिया, उद्दविया, ठाणाओ ठाणं संकामिया, जीवियाओ ववरोविया, तस्स मिच्छामि दुक्कडं ७॥
शब्दार्थ:अमिहया-लाते मार्या
संकामिया-मूक्या वत्तिया-धूळवडे ढांक्या
जीवियाओ-जीवितथी लेसिया-मोय साथे घस्या संघाइया-भेगा कर्या
ववरोविया - चूकाव्या-मारी संघट्टिया-स्पर्श कर्या परियाविया-परिताप उपजाव्या । तस्स-ते किलामिया-खेद पमाड्या
मिच्छा-मिथ्या-निष्फळ थाओ. उद्दविया-बोवराव्या ठाणाओ ठाणं-एक ठेकाणेथी
मि-मारं . बीजे ठेकाणे
दुक्कडं-पाप, दुष्कृत. अभिहया-उपर कहेला एकेन्द्रिय विगेरे जीवोमांथी सामे आवता होय
तेने मार्या होय. बत्तिया-कोई पण जीवोने धूळ अथवा एवा बोजा पदार्थोथी ढांक्या न होय. लेसिया-परस्पर अथवा जमीन या भीत साथे घस्या होय.
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