________________
बेइंदिया-बे इन्द्रियवाळा चउरिंदिया-चार इन्द्रियवाळा तेइंदिया-त्रण इन्द्रियवाळा पंचिंदिया-पांच इन्द्रियवाळा जे मे जीवा विराहिया-जे जीवोनी में विराधना करी होय अर्थात्
जे जीवोने दुःखी कर्या होय, कया कया जीव ? ते
बताबे छे. एगिंदिया-एक इन्द्रियवाळा-पृथ्वी, जळ, अग्नि, वायु-हवा, अने
वनस्पति, बेइंदिया-बे इन्द्रियवाळा-शंख, पूरा, अळसीया विगेरे. तेइंदिया-त्रण इन्द्रियवाळा-कीडी, कुंथवा, मकोडा, माकड, जू
विगेरे. चउरिदिया-चार इन्द्रियवाळा-माखी, वींछी, भमरा, विगैरे. पंचिंदिया-पांच इन्द्रियवाळा-साप, जानवर, पक्षी, तियेच, नारकी,
देवता, माणस विगेरे.
भावार्थ-पृथ्वी, जळ (पाणी), अग्नि, वायु-हवा, अने वनस्पति आदि एक इन्द्रियवाळा, शंख, पुरा, अळसोया आदि बे इन्द्रियवाळा, कोडी, कुंथवा, मकोडा, माकड, जू आदि त्रण इंद्रियवाळा, माखी, वाँछी, भमरा आदि चार इन्द्रियवाळा, अने साप, जानवर-गायभेंस-बळद-वाघ-सिंह-चित्तो तथा पक्षी-मोर-ढेल-पारेवु-चकली-पोपट तथा माणस-स्त्री-पुरुष-छोकरो-छोकरी विगेरे पांच इन्द्रियवाळा.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org