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संघाइया संघट्टिया-एक बीजाने मेळव्या होय अथवा हाथ आदि
लगाडी दुःख आप्यु होय. परियाविया-कष्ट आप्यु होय. किलामिया-थकाड्यां होय, मरवा जेवा कर्या होय. उद्दविया-हेरान कर्या होय, बीवराव्या होय. ठाणाओ ठाणं संकामिया-एक ठेकाणेथी बीजे ठेकाणे बहुज
खराब रीते मूक्या होय. जीवियाओ ववरोविया-आयुष्यथी चूकाव्या होय अथवा जीवननो
नाश कर्यो होय. तस्स मिच्छामि दुक्कडं-ते संबंधी जे कांइ पाप मने लाग्युं, अथवा
ते ते जीवोने कोइ प्रकारचं कष्ट पहोंचायुं होय ते पाप मारूं निष्फल थाओ, हु दोष रहित थाउं.
भावार्थ-ते जीवाने में लाते मार्या होय अथवा सामे आवतां हण्यां होय, धूळे ढांक्या होय, भीते के भोंये के परस्पर घस्यां होय, परस्पर जीवोना शरीरो एकठां कयाँ होय, स्पर्श करबाथी दुःखी कर्या होय, परिताप-दुःख उपजाव्युं होय, किलामणा उपजावी होय एटले मरण तुल्य कर्या होय, त्रास पमाड्या होय, एक स्थानेथी बीजे स्थाने मूक्या होय के जीवितथी जूदा कर्या होय आ रीते करवाथो मने जे पाप लाग्युं होय ते मारुं पाप निष्फल थाओ अर्थात् ते पापर्नु हुं मिच्छामि दुबई आपुं छु.
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