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________________ मावार्थ-आ गाथावडे बीजा व्रतना पांच अतिचारोनु प्रतिकमण कयु छे. ते पांच अतिचारो आ प्रमाणे छे.-विचार कर्या विना साहसपणे कोइने चोर के पारदारिक विगेरेनो आरोप आपको ते सहसाभ्याख्यान कहेवाय छे. १. एकांतमां बेसोने केटलाक माणसो काइ विचार करता होय, तेमना आकार, इंगित ( चेष्टा ) विगेरे उपरथी अनुमान करीने आ लोको अमुक अमुक राजविरुद्धादिकनो विचार करे छे इत्यादिक आळ देवू ते रहोभ्याख्यान कहेवाय छ; अथवा तो कोई प्रीतिवाळा मित्रादिकने एकबीजाना दोष कही बन्ने वच्चेनी प्रीतिनो नाश करे के चाडी खाय ते पण रहोभ्याख्यान कहेवाय छे.२. पोतानी स्त्रीए विश्वासथी कांइ गुप्त वात करी होय ते बीजा पासे प्रगट करवी, अथवा उपलक्षणथी पुरुषनी वात स्त्रीए प्रगट करवी अथवा मित्रनी वात प्रगट करवी ते स्वदारमंत्रभेद नामनो त्रीजो अतिचार छे.- ३. कोइ बे जणना विवादमा एक जणने वंचननो उपाय शीखववो, अथवा पोते बराबर जाण्या विना ज मंत्र, औषध विगेरेनो उपदेश आपवो, अथवा मायावी शास्त्रो भणाववा ए विगेरे मृषोपदेश कहेवाय छे. ४. तथा -- अन्य माणसनी मुद्रा करीने के तेनी जेवा अक्षर लखीने खोटो लेख * अहीं रहोभ्याख्यान अने स्वदारमंत्रभेद ए बन्ने ठेकाणे सत्य वचन ज बोलवा- होय छे, तो तेमां अतिचार शी रीते लागे ? एवो प्रश्न सहज उठी शके छे. तेनो उत्तर ए छे जे-गुप्त विचार प्रगट करवाथी लजादिक उत्पन्न थवाने लीधे कदाच तेनुं मरण पण उत्पन्न थाय छे, तेथी वास्तविक रीते पने असत्य ज कही शकाय.. .. ..... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001362
Book TitlePanch Pratikramana Sarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokaldas Mangaldas Shah
PublisherShah Gokaldas Mangaldas
Publication Year1942
Total Pages455
LanguageGujarati, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Ritual_text, & Ritual
File Size18 MB
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