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________________ अगर कभी कोई गलती हो जाय, तो साफ-साफ कह दो, छिपाओ नहीं । ५. सच्चे मन से भगवान की भक्ति करो । उनके नाम की माला फेरो, भजन गाओ । शीतला वगैरह देवी-देवताओं की पूजा से कोई लाभ नहीं है, ये जड़ मूर्तियाँ न देवी हैं, न देवता हैं । भगवान् महावीर ने इसे पाखंड बनाया है । माता, पिता, गुरु ही सच्चे देवता हैं । इनकी पूजा करो । ६. सदा निर्भय रहो । मन में भूत, चुड़ैल, प्रेत आदि किसी भी तरह का भय न रखो ! किसी भूत में ताकत नहीं है, जो तुम्हें दुःख दे सके । ७. कभी निकम्मे मत बैठो । मन में बुरे विचार मत करो । मेहनत करना, समय पर खाना और समय पर सोना, यह अच्छे बालक की निशानी है । Jain Education International ( २२ ) For Private & Personal Use Only H www.jainelibrary.org
SR No.001358
Book TitleJain Bal Shiksha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1996
Total Pages34
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size1 MB
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