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तब डा. राधाकृष्णन् बोले-"टुथ, ब्यूटी, और गुडनैस (सत्यं, शिवं, सुन्दरम्) यही तो गॉड है।" ___ यह सुनते ही सब लोगों ने एक स्वर से कहा कि-"यह अगर गॉड है, तो हम भी उसे मानते हैं !" ... 'सत्यं, शिवं, सुन्दरम्' जीवन का शाश्वत सत्य है । इस सत्य से इन्कार होने का अर्थ होगा-जीवन की सत्ता से ही यानी अपनी सत्ता से इन्कार होना। जीवन और जगत के कण-कण में, यही सत्य मुखरित हो रहा है, यही तो सच्चा ईश्वर है।
तुम अपने जीवन का खाता देखो, उसका हिसाब करो कि जीवन में क्या और कितना काल सार्थक हुआ है?
अपने, बचपन, यौवन, निद्रा, निठल्लेपन और बीमारी का समय उसमें से निकाल दो ! और अब देखो कि सम्पूर्ण जीवन में, कितना काल वास्तव में उपयोगी रहा है?
- देखो, यह तिनके की ज्वाला सुलगते ही बुझ जाती है। बस, इसी प्रकार तुम्हारी भौतिक आनन्द की चमक भी क्षण भर में ही चली जाएगी।
सेमर का रंग बिरंगा फूल सामने की टहनी पर हँस रहा है ! उसकी यह नयन-मोहकता व्यर्थ है, क्योंकि उसमें सुगन्ध नहीं है।
जो मनुष्य बहुत ऊँचे पद पर बिठा दिया जाता है, किन्तु उसमें योग्यता नहीं है तो वह उस सुगन्ध-हीन फूल की तरह निरर्थक है ।
जो अपनी जीभ पर नियंत्रण नहीं कर सकता, वह दूसरों पर क्या नियंत्रण कर सकेगा?
अपनी जीभ पर नियंत्रण कर, संसार अपने आप तेरे नियंत्रण में रहेगा !
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अमर डायरी
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