SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 38
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ राजाओं की कृपा बुरे कामों से भी खरीदी जा सकती है । यश और पदवियाँ धन से खरीदी जा सकती हैं। किंतु सच्ची प्रतिष्ठा और सम्मान के लिए तो सेवा और सदाचार की पूरी कीमत चुकानी पड़ती है । सद्गुण के सिवा सच्ची प्रतिष्ठा किसमें है ? कुलीनता का निवास मनुष्य के हृदय में है। शोक की जड़ कहाँ है ? आत्मा की दुर्बलता में। उसे बल कहाँ से मिलता है ? मन की दीनता से। उसके फल क्या हैं? आँसू और मौत ! एक धनिक हीरे जवाहरात और कीमती वस्त्रालंकारों से विभूषित होकर राजमार्ग पर से गुजर रहा था। भीड़ में से एक व्यक्ति ने आगे बढ़कर धनिक व्यक्ति को उसके अलंकारों के लिए धन्यवाद दिया। धनिक आश्चर्य से उसकी ओर देखने लग गया-“मैंने तो तुम्हें कुछ नहीं दिया, फिर धन्यवाद देने का अर्थ ?" ___ “जी, आपने मुझे जवाहरात देखने का मौका दिया, इससे ज्यादा आप दे भी क्या सकते थे? आप भी तो सिर्फ देखते ही हैं। किंतु फर्क इतना ही है कि आपको इनकी रक्षा के लिए सदा चिंतित रहना पड़ता है, और मैं इस चिंता से मुक्त हूँ।” ___ जो मनुष्य धन को जमा करके किसी के पेट में नहीं, किन्तु अपनी पेटियों में भरते हैं, वे इस कहानी के व्यंग्य को समझें । अमर डायरी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001353
Book TitleAmar Diary
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1997
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Spiritual, & Ethics
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy