SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 97
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सामाजिक व्यवस्था वाहन, भाषा, आहार और सुख-ये जाति आदि २७ सूत्रपद कहलाते हैं, जिनके निर्माण होने से पारिव्रज्य का साक्षात् लक्षण प्रकट होता है। ये लक्षण सामान्य पारिवाजक में नहीं, अपितु तीर्थंकरों में प्राप्य थे। इन लक्षणों का कुछ अंश सामान्य पारिव्राजक में उपलब्ध होता था। ४. संन्यासाश्रम : जैन पुराणों में संन्यासी के लिए प्रायोपगमन, भिक्षुकसंज्ञक, मुनिदीक्षा नामों का उल्लेख मिलता है । संन्यास (मुनि) धर्म की विस्तृत विवेचना आगे किया गया है । महा पुराण में संन्यासाश्रम के विषय में अधोलिखित जानकारी प्राप्त होती है। मुनियों ने संन्यास का नाम प्रायोपगमन बतलाया है, जिसमें संसारी जीवों के रहने योग्य ग्राम-नगर आदि से हटकर किसी वन में जाना पड़े, उसे प्रायोपगमन कहते हैं ।२ प्रायोपगमन संन्यास में शरीर का न उपचार करते हैं और न दूसरे से उपचार कराते हैं। शरीर से ममत्व नहीं रखते। जैसे कोई शत्रु के मृतक शरीर को छोड़कर निराकुल होते हैं । मुनिमार्ग से च्युत होने तथा कर्मों की विशाल निर्जरा होने की इच्छा से संन्यासी को क्षुधा, तृष्णा, शीत, उष्ण, दंशमशक, नाग्न्य, अरति, स्त्री, चर्या, शय्या, निषधा, आक्रोश, वध, याचना, अलाभ, अदर्शन, रोग, तुणस्पर्श, प्रज्ञा, अज्ञान, मल और सत्कारपुरस्कार ये बाइस परिषह को सहन करना चाहिए। क्षमा, मार्द्रव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, अकिञ्चन और ब्रह्मचर्य दस धर्म संन्यासी को धारण करना चाहिए। ___ सज्जन लोग तपस्या हेतु जंगल में जाया करते थे। आयु के अन्त समय में राजा मुनि के पास संन्यास धारण करते थे। प्रायोपगमन संन्यास के द्वारा धनपति नामक राजा ने जयन्त विमान में अहमिन्द्र पद प्राप्त किया। किसी पर्वत पर संयम १. महा ३६।१६२-१६५ २. वही ११।६७ ३. वही १११६८ ४. वही ११।१००-१०२ ५. वही १११०३-१०४ ६. वही ६३।२२८ ७. वही ६३।२४६ ८. वही ६५१६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy