SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 447
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भौगोलिक दशा ४१३ वाड़वान' : इसे वल्लवाड़ या वलयवाड़ या वलवाड़ कहते थे, जो कोल्हापुर से लगभग २७ मील दक्षिण-पश्चिम में वर्तमान राधा नगरी में स्थित था । 2 वाह्लीक' : इसका उल्लेख मेहरौली स्तम्भ लेख में हुआ है, जो पंजाब में स्थित था । विदेह : इसकी स्थिति बिहार में मिथिला के आस-पास थी । विदर्भ' : इसमें वरदा नदी बहती थी । इसे आधुनिक बरार से समीकृत करते हैं । " विन्ध्य : यह उत्तर और दक्षिण भारत की सीमा रेखा है । ऋक्ष, विन्ध्य एवं पारिपात उस सम्पूर्ण भू-भाग के अंग हैं, जिसे सम्प्रति विन्ध्य कहा जाता है ।" इसीके आस-पास क्षेत्र को विन्ध्य देश कहा गया है । शक' : शकों को गुजरात, काठियावाड़ के आस-पास के क्षेत्र से समीकृत किया गया है । शकट : हरिवंश पुराण में इसकी स्थिति भरत क्षेत्र में बतायी गयी है ।" शङ्खा : हरिवंश पुराण में इसकी स्थिति पश्चिम विदेह के सीतोदा नदी एवं नील पर्वत के मध्य में बतायी है ।" शाल्व (साल्व) १२ : पाणिनि के सूत्र में शाल्व जनपद में औदुम्बर, मद्रकार, युगन्धर, भूलिंग एवं शरदण्ड सम्मिलित थे । शाल्व आधुनिक अलवर के पास था । महाभारत के अनुसार यह कुरुक्षेत्र के पास था । " १. हरिवंश ३।६ २. लाहा - वही, पृ० ५०१ महा १६।१५६, ३०।१०७ पद्म १०१।८३; हरिवंश ३।५ ४. वही १६।१५५, ६६।२०; हरिवंश २19 ५ वही ७१।३४१; हरिवंश १७।२३ ६. लाहा वही, पृ० ५६८ ७. पद्म १०१८३ लाहा - वही, पृ० ५०२-५०३ ६. महा १६।१५६; पद्म १०१।८१ १०. हरिवंश २७।२० ११. वही ५। २५१ १२ . वही ३।३ १३. लाहा -- वही, पृ० २०८ ८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy