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जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन
शूरसेन' : मथुरा को शूरसेन की राजधानी बतायी गयी है ।'
श्रावस्ती' : प्राचीन श्रावस्ती आधुनिक सहेत-महेत है, जो गोंडा और बहराइच जिलों की सीमा पर स्थित है।
सरिद : महा पुराण के अनुसार पुष्करवर द्वीप के पश्चिम मेरु पर्वत से पश्चिम की ओर सरिद देश विद्यमान है ।'
सरिता : पश्चिम विदेह क्षेत्र में सीतोदा नदी और नील पर्वत के मध्य इसकी स्थिति बतायी गयी है।
सारसमुच्चय : धातकीखण्ड द्वीप के पूर्व उत्तर क्षेत्र में सारसमुच्चय देश था, इसमें आधुनिक नागपुर नगर है ।"
सिन्धु' : सिन्धु नदी के तट पर ही प्राचीन सिन्धु देश रहा होगा।
सुकच्छ : धातकीखण्ड के पूर्व विदेह क्षेत्र में सीता नदी के उत्तर तट पर सुकच्छ नामक देश है। इसे कच्छ से समीकृत करते हैं।
सुकोशल" : इसकी पहचान कोशल या महाकोशल से की जाती है ।
सुगन्धि : पूर्व मेरु के पश्चिम विदेह क्षेत्र में सीतोदा नदी के उत्तर तट पर सुगन्धि नामक देश है।" इसे गन्धि या गन्धिल देश से भी समीकृत किया जाता है।
सुगन्धा : पश्चिम विदेह क्षेत्र के सीतोदा नदी एवं नील पर्वत के मध्य में इसकी स्थिति है ।२ इसे गन्ध देश से भी समीकृत करते हैं।
१. महा १६।१५५; पद्म १०१।८३; हरिवंश ५६।११० २. लाहा-वही, पृ० १८० ३. महा ४६१४; पद्म ६१।२३ ४. लाहा-वही, पृ० २१० ५. महा ६२।३६४ ६. हरिवंश ५२५१ ७. महा ६८।३ ८. वही १६।१५५, ६२।११६; हरिवंश ४४।३३ ६. वही ५३।२; हरिवंश ५।२४५ १०. वही १६।१५२ ११. महा ५४।६-१० १२. हरिवंश श२५१
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