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जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन लाङ्गलावती : हरिवंश पुराण में पश्चिम विदेह में सीता नदी और नील । पर्वत के मध्य में इसकी स्थिति बतायी गयी है।
लाट : बन्धुवर्मा के मन्दसोर अभिलेख में लाट का वर्णन मिलता है। कुछ लोगों के अनुसार लाट माही एवं निचली ताप्ती नदियों के मध्य स्थित खानदेश सहित दक्षिण गुजरात था। कुछ लोग इसे मही और किम नदियों के मध्य मानते हैं। इसमें सूरत, भड़ौच, खेदा जिले एवं बड़ौदा के कुछ भाग सम्मिलित थे।'
वत्स: वत्स को सुवत्सा, वत्सकावती और महावत्स भी कहा जाता था। इसकी स्थिति जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में पूर्व विदेह में सीता नदी और निषध पर्वत के मध्य में था। आधुनिक इलाहाबाद जिले में दक्षिण पश्चिम कोने पर ३५ मील दूर कोसम ग्राम (कौशाम्बी) को वत्स की राजधानी से समीकृत किया गया है।
वंग' : डॉ० बी० सी० लाहा के अनुसार यह बंगाल का प्राचीन नाम था। डॉ० डी० सी० सरकार ने इसे दक्षिणी पूर्वी बंगाल बताया है।"
वनवास' : डॉ० नन्दलाल रे ने वनवास की स्थिति वरदा नदी के तट पर बतायी है।
वप्रा : हरिवंश पुराण के अनुसार पश्चिम विदेह के नील पर्वत और सीतोदा नदी के मध्य में इसकी स्थिति थी।"
वप्रकावती : इसकी भी स्थिति पश्चिम विदेह के सीतोदा नदी एवं नील पर्वत के मध्य में बतायी गयी है।"
१. हरिवंश ५१२४५ २. महा ३०।६७; हरिवंश ५६११० ३. लाहा-वही, पृ० ४७६ ४. महा १६।१५३, २६६६०, ५८१२; हरिवंश ५।२४७; पम ३७।२२ ५. वही ७।३३, ६१२; हरिवंश ५२२४७
वही १६।१५२, २६।४७, ७५८१; पद्म ३७।२१; हरिवंश ५६१११ ७. अवध विहारी लाल अवस्थी-स्टडीज़ इन स्कन्दपुराणज़ (भाग १) लखनऊ
१६६५, पृ० ३५ ८. महा १६।१५४ ६. सरकार-वही, पृ० २०० १०. हरिवंश ५।२५१ ११. वही श२५१
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