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________________ जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन इतिहास और पुराण साथ प्रयुक्त हुआ है ।" विण्टरनित्ज का विचार है कि उस समय समाज में कथावाचकों के दो वर्ग थे- ऐतिहासिक तथा पौराणिक । २ कौटिल्य के अर्थशास्त्र में पुराण के साथ 'इतिवृत्त' शब्द वर्णित है, जो कि इतिहास है । इतिहास को पुराण, इतिवृत्त, आख्यान, धर्मशास्त्र तथा अर्थशास्त्र कहा गया है । " आलोचित जैन पुराणों में उक्त विचार परिलक्षित होते हैं। महा पुराण में पुरातन को पुराण वर्णित किया है। इसी पुराण में अन्यत्र पुराणार्थ 'इतिहास' 'इतिवृत्त ' तथा 'ऐतिह्य' शब्द का प्रयोग उपलब्ध है ।" यही विचार कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी प्राप्य है । आलोचित जैन पुराणों में इतिहास तथा पुराण को स्पष्ट किया गया है । इतिवृत्त केवल घटित घटनाओं का उल्लेख करता है, परन्तु पुराण उनसे प्राप्त फलाफल, पुण्य-पाप का भी वर्णन करता है और व्यक्ति के चारितनिर्माण की अपेक्षा बीच-बीच में नैतिक और धार्मिक भावनाओं का प्रदर्शन भी करता है । इतिवृत्त में केवल वर्तमान कालिक घटनाओं का उल्लेख रहता है, परन्तु पुराण में नायक के अतीत अनागत भावों का भी वर्णन रहता है; और वह इस लिए कि जनसाधारण समझ सके कि महापुरुष कैसे बना जा सकता है । अवनत से उन्नत बनने के लिए क्या-क्या त्याग और तपस्याएँ करनी पड़ती हैं। वस्तुतः मनुष्य के जीवन-निर्माण में पुराण का बड़ा ही महत्त्वपूर्ण स्थान है । यही कारण है कि उसमें जनसाधारण की श्रद्धा आज भी यथावत अक्षुण्ण है । [ग] जैनपुराणों का उद्भव और विकास जैनपुराणों के उद्भव के विषय में कहा गया है कि तीर्थंकर आदि के जीवन के कुछ तथ्यों का संग्रह स्थानांग सूत्र में उपलब्ध है, जिसके आधार पर श्वेताम्बराचार्य हेमचन्द्र आदि ने विषष्टिशलाकापुरुषचरित आदि की रचनाएँ कीं । दिगम्बर परम्परा में तीर्थंकर आदि के चरित्र के तथ्यों का प्राचीन संकलन हमें प्राकृत भाषा १. छान्दोग्योपनिषद् ७ १/२ २. विण्टरनित्ज - वही, पृ० ३१३ ३. अर्थशास्त्र ५।१३-१४ ४. पुरातनं पुराणं स्यात् ५. महा १।२५ अर्थशास्त्र ५1१३-१४ Jain Education International | महा ११।२ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
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