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(घ) संस्कार क्रिया)
१. 'संस्कार' शब्द : व्युत्पत्ति एवं अर्थ; २ 'संस्कार' के प्रति जैन पुराणों का दृष्टिकोण : तात्पर्य एवं व्याख्या, ३. संस्कारों के भेद-भेदान्तर-(अ) गर्भान्वय क्रिया : आधान, प्रीति, सुप्रीति, धृति, मोद, प्रियोद्भव, (जातकर्म), नामकर्म, बहिर्यान, निषद्या, अन्नप्राशन, व्युष्टि (वर्ष वर्धन), केशवाप (चूडाकर्म), लिपि संख्यान, उपनीति (उपनयन)-[समय, नियम, यज्ञोपवीत], व्रतचर्या, व्रतावतरण, विवाह, वर्णलाभ, कुलचर्या, गृहीशिता प्रशान्ति, गृहत्याग, दीक्षाद्य, जिनरूपता, मौनाध्ययनवृत्तत्व, तीर्थकृद्भावना, गुरुस्थानाभ्युपगम, गणोपग्रह, स्वगुरुस्थानावाप्ति, निःसंगत्वात्मभावना, योगनिर्वाण संप्राप्ति, योगनिर्वाणसाधन, इन्द्रोपपाद, इन्द्राभिषेक, विधिदान, सुखोदय, इन्द्रत्याग, इन्द्रावतार, हिरण्योत्कृष्टजन्मता, मन्दराभिषेक, गुरुपूजन, यौवराज्य, स्वराज्य, चक्रलाभ, दिशाञ्जय, चक्राभिषेक, साम्राज्य, निष्कान्ति, योगसम्मह, आर्हन्त्य, विहार, योगत्याग, अग्रनिर्वृत्ति; (ब) दीक्षान्वय क्रिया : अवतार, वृत्तलाभ, स्थानलाभ, गणग्रहण, पूजाराध्य, पुण्ययज्ञा, दृढ़चर्या, उपयोगिता, उपनीति, व्रतचर्या, व्रतावतरण, विवाह, वर्णलाभ, कुलचर्या, गृहीशिता, प्रशान्तता, गृहत्याग, दीक्षाद्य, जिनरूपता; (स) कन्वय क्रिया : सज्जाति, सद्गुहित्व, पारिव्रज्य, सुरेन्द्रता, साम्राज्य, आर्हन्त्य, परि
निर्वृत्ति; (द) मृतक-संस्कार । (ङ) विवाह
६१-१०१ १. विवाह का महत्त्व; २. विवाह के प्रकार एवं भेदस्वयंवर विवाह, गान्धर्व विवाह, परिवार द्वारा नियोजित विवाह, प्राजापत्य विवाह, राक्षस विवाह; ३. विवाह विषयक नियम-सवर्ण विवाह (अनुलोम विवाह), एकपत्नी व्रत और बहुविवाह; ४. विवाहार्थ वर-कन्या की आयु; ५. वर-कन्या के गुण एवं लक्षण; ६. दहेज प्रथा; ७ विवाह-विधि ।
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