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________________ १४० जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन (जल रखने का झारी जैसा पात्र) एवं चालिन' (चलनी-आटा चालने हेतु) का उल्लेख है। महा पुराण में वर्णित है कि अन्तिम कुलकर नाभिराज ने प्रारम्भ में मिट्टी का पात्र बना कर दिया और इसी प्रकार पात्र बनाने का उपदेश दिया। यहाँ पर यह उल्लेखनीय है कि लोग प्रारम्भ में मिट्टी के बर्तन का ही प्रयोग करते थे, उसके बाद अन्य धातुओं का प्रयोग हुआ। ११. फलाहार : जैन पुराणों में वृक्षों से प्राप्त फलों का वर्णन निम्नवत् है : जम्बु (जामुन), विमीतक' (बहेड़ा), अक्षौट' (अखरोट), नारिंग (नारंगी), एला (इलायची), स्पन्दनविल्व (तेंदू), चिरबिल्व (बेल), कर्कन्धू'' (बेर), कुवलीफल' (बदरीफल), रसदार बेल१२, पिण्ड खजूर" (खजूर), दाडिम" (अनार), मातुलिङ्गी" (बिजौरा), द्राक्षा' (दाख), नारिकेल" (नारियल), आमलक(आंवला), नीप" कपित्थ२° (कथा), कदली२१ (केला), पूग२२ (सुपारी), कंकोन २', लवङ्ग२४ (लौंग), इंगुद२५ (इंगुदी वृक्ष विशेष), आम्र२६ (आम), खजूर (खजूर); पनस२८ (कटहल), लकुच२ (बड़हल). मोच (विशिष्ट केला), क्रमुक ? (सुपारी विशेष)। १. महा १।१३६ १७. वही २०१५; महा १७।२५२, ३०।१३ २. वही ३।२०४ १८. वही ६१६१ ३. पद्म ३।४८; महा १७।२५२ . १६. वही ६।६१ वही ४२।११ २०. वही ६१६१ वही ४२।११ वही ६१६१; महा १६।२५२ वही ४२।१६ २२. वही ६।६२; महा ३०।१३; वही ४२।१६; हरिवंश ३६।२८ हरिवंश ३६।२८ वही ४२१२० २३. वही ६/६२ वही ६६०४८ २४. वही ६।६२; महा २६१६६ १०. वही ६६१४८ २५. वही ४१।२६ ११. महा ३।३०, ६७२ २६. वही ४१।२६; महा १७।२५२ १२. पद्म ४११२६ २७. वही ४१।२६ १३. वही २०१६ २८. महा १७।२५२ १४. वही २।१६; महा १७।२५२ २६. वही १७४२५२ १५. वही २।१७; वही १७।२५२ ३०. वही १७१२५२ १६. वही २०१८ ३१. वही १७।२५२ -NMmX90 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
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