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जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन कर्करा' : यह एक प्रकार की मिश्री है, जो खाने में मीठी होती है। इससे विभिन्न प्रकार के पकवान बनाये जाते हैं।
पूरिका २ : आटा और घी से बनी पूड़ियाँ ही पूरिका कहलाती हैं। गुड़पूर्णिकापूरिका' : यह आटा, गुड़ एवं घी द्वारा तैयार की गयी पुड़ियाँ
शष्कुली : यह एक प्रकार की कंचौड़ी है, जिसका निर्माण गूंथे आटे में मसाले तथा घी के योग से होता है।
घनबन्ध : घेवर को ही घनबन्ध कहते हैं । यह विशेष प्रकार का पकवान्न है।
अम्लिका (कढ़ी) : यह बेसन से निर्मित खाद्य पदार्थ है ।
७. शाक निर्मित भोजन : फल एवं पत्ता आदि के भोज्य पदार्थ का इसके अन्तर्गत वर्णन मिलता है ।" मेथिक (मेथी), शाल्मली' (सेम), पनस (कटहल), चित्रमृत" (ककड़ी) तथा कूष्माण्ड'२ (काशीफल) का उल्लेख पद्म पुराण में प्राप्य है।
८. ध निमित पदार्थ : दूध का प्रयोग भारत में प्राचीन काल से ही प्रचलित है। दूध से निर्मित पदार्थों में लेह्य" (रबड़ी), घी'५ दही आदि का उल्लेख जैन पुराणों में उपलब्ध है ।
६. भोजन में प्रयुक्त अन्य पदार्थ : आहार के साथ प्रयुक्त होने वाले अन्य उपभोग्य पदार्थों में हरिद्र" (हल्दी), जीरा", सरसों, धनिया२०, मिर्चा२१; लवंग२२
१. पद्म १२०।२३ २. वही ३४।१४; १२०२३ ३. वही ३४।१४ ४. वही ३४।१४ ५. वही ३४।१३ ६. महा ६५११५६ ७. पद्म ५६१५ ८. वही ४२।२० ६. वही ४२।२१ १०. वही ५३।१६७ ११. वही ८०।१५४
१२. वही ८०।१५४ १३. वही २।४, ५३।१३७ १४. वही ५३११३७ १५. वही ८०७७ १६. वही ५३।१३७ १७. महा २६१६१ १८. वही ३।१८७; पम २।६ १६. वही ३।१८७ २०. वही ३.१८७ २१. वही ३००२१-२२ २२. वही १६६८; पद्म ६।६२
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