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सेवा, शिक्षा, साधना की त्रिपगथा - गंगा से बिहार (जो भगवान महावीर के पंचकल्याणक की भूमि है) को गरिमामंडित कर रहा
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जन्म जयन्ती के इस मंगल महोत्सव पर सोने में सुगन्ध बनकर घुला है भगवान महावीर की जन्मभूमि क्षत्रियकुण्ड में 'तीर्थंकर महावीर विद्या मन्दिर' के निर्माण कार्य का प्रारंभ और इस प्रसंग की पृष्ठभूमि में है वीरायतन' जिसने ऐसा करके जन्मभूमि की सार्थक गरिमा को सार्थक रूप दिया है। पूज्य गुरुदेव के विराट् चिन्तन में भगवान महावीर की अहिंसा के अनेक आयामों में एक है- 'अज्ञान अशिक्षा' के घोर अन्धकार में ज्ञान के दीप प्रज्वलित करना अहिंसा ही है, और अहिंसा का यह आयाम 'तीर्थंकर महावीर विद्या मन्दिर' के निर्माण प्रयास में जीवन्त हो गया है।
सेवा, शिक्षा, साधना के उद्देश्य की पूर्ति में निरन्तर प्रयत्नशील एवं प्रगतिशील वीरायतन के परिसर में प्रभु महावीर की छब्बीसवीं जन्म शताब्दी के उपलक्ष में गत २६ जनवरी को एक विशाल पोलियो चिकित्सालय का उद्घाटन हुआ ।
जीवन के उत्स को जगानेवाली तथा व्यक्तित्व के विकास की अनुपम कार्यशाला है नवलवीरायतन, पूणें, स्वयं को जानने, समझने एवं परिशुद्ध होने की प्रक्रिया को सिखाता है नवलवीरायतन पूर्णे (महाराष्ट्र ) ।
२६ जनवरी को कच्छ - गुजरात में आये प्रलयंकारि भूकम्प से पीड़ित मानवजाति को उबारने में सतत संलग्न है ‘वीरायतन कच्छ' । समय की छोटी सी यात्रा में बहुत कुछ प्रदान किया है वीरायतन ने, जो मानवता को सुखद गर्वानुभूति प्रदान कराने वाला है।
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वीरायतन
राजगृह, नालन्दा
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