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पथदिशा की ओर ले चलने का प्रकाश प्राप्त करें ।
श्रद्वेय गुरुदेव राष्ट्रसन्त उपाध्याय श्री अमरमुनिजी महाराज ने प्रस्तुत पुस्तक- विश्व-ज्योति महावीर' में अपने जीवन के सुदीर्घ चिन्तन, अध्ययन एवं अनुभव मंथन के आधार पर वर्तमान युग के परिप्रेक्ष्य में भगवान् के जीवन एवं उनकी वाणी का पुनर्मूल्यांकन बड़े ही सुस्पष्ट एवं सरल भावधारा में प्रस्तुत किया है । इसमें भगवान महावीर के सहज जीवन का, विना किसी आग्रहविशेष से प्रभावित हुए, चित्र प्रस्तुत किया गया है । 'विश्व-ज्योति महावीर' की यही सबसे बड़ी विशेषता है कि भगवान महावीर को किसी कल्पना लोक के भगवान के रूप में न अपनाया जाकर विश्व की ज्योति के रूप में अंकित किया गया है । श्रद्धेय गुरुदेव श्री ने, इसमें, अपने अनुभव के रत्नों को बड़े ही सहज ढंग से जन-मानस के समक्ष प्रस्तुत किया है।
भगवान महावीर के अबतक के जीवनविषयक लिखित साहित्य में प्रस्तुत पुस्तक अपनी शैली की प्रथम है । इसमें सिर्फ पुरानी रेखाओं में नया रंग ही नहीं, किंतु रेखाओं की कल्पना भी बड़े कलात्मक व चिंतन पूर्ण ढंग से हुई है । विचार क्षेत्रों में प्रस्तुत कृति का बहुत ही समादर हुआ है ।
जन्म शताब्दी के पावन प्रसंग पर राष्ट्रसन्त कविरत्न पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री अमरमुनिजी महाराज की प्राणवान लेखनी से निसृत 'विश्व ज्योति महावीर की तृतीय आवृत्ति, जिसमें गुरुदेव ने मध्य युग की धूमिल उपेक्षित परतों में दबी पड़ी भगवान की कालजयी दिव्यता को उद्घाटित किया है, प्रकाशित की जा रही है। पूज्य गुरुदेव के इस प्रयास में वह शक्ति परिलक्षित होती है जो आज की नई पीढ़ी को भगवान महावीर के निकट लाने में समर्थ है।
प्रज्ञामहर्षि पूज्य गुरुदेव के आशीर्वाद से भगवान महावीर की २५वीं निर्वाण शताब्दी के उपलक्ष में संस्थापित वीरायतन
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