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५२ . चिंतन की मनोभूमि क्यों कर जन्म लेंगे? जैन-धर्म का युद्ध, धर्म-युद्ध है। इसमें बाहर से नहीं लड़ना है, अपने-आपसे लड़ना है। विश्व-शान्ति का मूल इसी भावना में है। अरिहन्त बनने वाला, अरिहन्त बनने की साधना करने वाला एवं अरिहन्त की उपासना करने वाला ही विश्व-शान्ति का सच्चा स्रष्टा हो सकता है, अन्य नहीं। इसी अन्त:शत्रुओं को हनन करने वाली भावना को लक्ष्य में रखकर आचार्य भद्रबाह ने कहा है कि"ज्ञानावरणीय आदि आठ प्रकार के कर्म ही वस्तुतः संसार के सब जीवों के अरि हैं। अतः जो महापुरुष उन कर्म-शत्रुओं का नाश कर देता है, वह अरिहन्त कहलाता
"अट्ठ विहं पिय कम्म, अरिभूयं होइ सव्व-जीवाणं।
तं कम्ममरिहंता, अरिहंता तेण वुच्चंति ॥"
—आवश्यक नियुक्ति ९१४ प्राचीन मागधी, प्राकृत और संस्कृत आदि भाषाएँ बड़ी गम्भीर एवं अनेकार्थबोधक भाषाएँ हैं। यहाँ एक शब्द, अपने अन्दर में स्थित अनेकानेक गम्भीर भावों की सूचना देता है। अतएव प्राचीन आचार्यों ने अरिहन्त आदि शब्दों के भी अनेक अर्थ सूचित किये हैं। अधिक विस्तार में जाना यहाँ अभीष्ट नहीं है. तथापि संक्षेप में परिचय के नाते कुछ लिख देना आवश्यक है।
___ 'अरिहन्त' शब्द के स्थान में कुछ प्राचीन आचार्यों ने अरहन्त और अरुहन्त पाठान्तर भी स्वीकार किए हैं। उनके विभिन्न संस्कृत रूपान्तर होते हैं-अर्हन्त, अरहोन्तर, अरथान्त, अरहन्त और अरुहन्त आदि। 'अर्ह-पूजायाम्' धातु से बनने वाले अर्हन्त शब्द का अर्थ पूज्य है। वीतराग तीर्थङ्कर-देव विश्व-कल्याणकारी धर्म के प्रवर्तक हैं, अतः असुर, सुर, नर आदि सभी के पूजनीय हैं। वीतराग की उपासना तीन लोक में की जाती है, अतः वे त्रिलोक-पूज्य हैं, स्वर्ग के इन्द्र भी प्रभु के चरणकमलों की धूल मस्तक पर चढ़ाते हैं, और अपने को धन्य-धन्य समझते हैं।
अरहोन्तर का अर्थ सर्वज्ञ है। रह का अर्थ है रहस्यपूर्ण—गुप्त वस्तु। जिनसे विश्व का कोई रहस्य छुपा हुआ नहीं है, अनन्तानन्त जड़-चैतन्य पदार्थों को हस्तामलक की भाँति स्पष्ट रूप से जानते-देखते हैं, वे अरहोन्तर कहलाते हैं।
__ अरथान्त का अर्थ है-परिग्रह और मृत्यु से रहित। 'रथ' शब्द उपलक्षण से परिग्रह-मात्र का वाचक है और अन्त शब्द विनाश एवं मृत्यु का। अतः जो सब प्रकार के परिग्रह से और जन्म-मरण से अतीत हो, वह अरथान्त कहलाता है।
अरहन्त का अर्थ आसक्ति-रहित है। रह का अर्थ आसक्ति है, अतः जो मोहनीय कर्म को समूल नष्ट कर देने के कारण राग-भाव से सर्वथा रहित हो गये हों, वे अरहन्त कहलाते हैं।
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