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४० चिंतन की मनोभूमि १६. शान्तिनाथ :
भगवान् शान्तिनाथ सोलहवें तीर्थङ्कर थे। आपका जन्म हस्तिनागपुर के राजा विश्वसेन की अचिरा रानी से हुआ। आपका जन्म ज्येष्ठ कृष्णा त्रयोदशी को और निर्वाण भी इसी तिथि को हुआ। निर्वाण-भूमि सम्मेतशिखर है। भगवान् शान्तिनाथ भारत के पंचम चक्रवर्ती राजा भी थे। ऐसा कहा जाता है कि इनके जन्म लेने पर देश में फैली हुई मृगी रोग की महामारी शान्त हो गई थी, इसलिए माता-पिता ने इनका नाम शान्तिनाथ रखा था। ये बहुत ही दयालु प्रकृति के थे। ऐसी कथा मिलती है कि पहले जन्म में जबकि वे मेघरथ राजा थे, कबूतर की रक्षा के लिए उसके बदले में बाज को अपने शरीर का मांस काटकर दे दिया था। १७. कुन्थुनाथ :
भगवान् कुन्थुनाथ सतरहवें तीर्थङ्कर थे। उनका जन्म-स्थान हस्तिनागपुर है। पिता सूरराजा और माता श्रीदेवी थीं। आपका जन्म बैशाख कृष्णा चतुर्दशी और निर्वाण बैशाख-कृष्णा प्रतिपदा (एकम) को हुआ था। निर्वाण-भूमि सम्मेतशिखर है। भगवान् कुन्थुनाथ भारत के छठे चक्रवर्ती राजा भी थे। १८. अरनाथ:
। भगवान् अरनाथ अठारहवें तीर्थङ्कर थे। उनका जन्म-स्थान हस्तिनागपुर है, पिता राजा सुदर्शन और माता श्रीदेवी थीं। आपका जन्म मार्गशीर्ष शुक्ला दशमी और निर्वाण भी मार्गशीर्ष शुक्ला दशमी को ही हुआ था। निर्वाण-भूमि सम्मेतशिखर है। भगवान् अरनाथ भारत के सातवें चक्रवर्ती राजा भी थे। १९. मल्लिनाथ :
भगवान् मल्लिनाथ उन्नीसवें तीर्थङ्कर थे। उनका जन्म-स्थान मिथिला नगरी है। पिता कुम्भराजा और माता प्रभावतीदेवी थीं। आपका जन्म मागँशीर्ष शुक्ला एकादशी को और निर्वाण फाल्गुन शक्ला द्वादशी को सम्मेतशिखर पर हुआ। ये वर्तमानकाल के चौबीस तीर्थङ्करों में स्त्रीतीर्थङ्कर थे। इन्होंने विवाह नहीं किया, आजन्म ब्रह्मचारी रहे। स्त्री शरीर होते हुए भी इन्होंने बहुत व्यापक भ्रमण कर धर्मप्रचार किया। चालीस हजार मुनि और पचपन हजार साध्वियाँ इनके शिष्य हुए तथा इनके एक लाख उन्यासी हजार श्रावक और तीन लाख सत्तर हजार श्राविकाएँ थीं। २०. मुनिसुव्रतनाथ :
भगवान् मुनिसुव्रतनाथ बीसवें तीर्थङ्कर थे। उनकी जन्मभूमि राजगृह नगरी थी। पिता हरिवंश-कुलोत्पन्न राजा सुमित्र और माता पद्मावतीदेवी थीं। आपका जन्म ज्येष्ठ कृष्णा अष्टमी और निर्वाण ज्येष्ठ कृष्णा नवमी को हुआ। निर्वाण-भूमि सम्मेतशिखर है।
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