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शिक्षा और विद्यार्थी जीवन ४५७
छात्रों की मानसिक दुर्बलता का कारण :
आज छात्रों के मन में जो इतनी दुर्बलता आ गई है, उसका कारण उनके अभिभावकों की भूल है । वे महल तो गगन चुम्बी तैयार करना चाहते हैं, परन्तु उसमें सीढ़ी एक भी नहीं लगाना चाहते और, बिना सीढ़ी के महल में रहना पसन्द ही कौन करेगा ? माता-पिता प्रारम्भिक संस्कार - सीढ़ियाँ बनने नहीं देते और उन्हें पैसा कमाने के गोरखधंधे में डाल देने की ही धुन में लगे रहते हैं ।
ठाकुर रबीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी एक कहानी में लिखा है कि
एक सेठ ने एक बड़ा इंजीनियर रख कर एक बहुत बड़ा महल बनवाया। लोग सेठ के महल को देखने आये। पहली मंजिल बड़ी शानदार बनी थी । उसे देखभाल कर जब वे दूसरी मंजिल पर जाने लगे तो सीढ़ियाँ ही नहीं मिलीं। इधर देखा, उधर देखा, परन्तु सीढ़ियों का कहीं कोई पता न चला। आखिरकार वे सेठ को कहने लगे- 'सेठजी यह क्या ताबूत खड़ा कर दिया है ! ऊपर की मंजिल में जाने के लिए तो सीढ़ियाँ तक भी नहीं बनवाई हैं। इनमें रहेंगे कैसे ? ऊपर की मंजिल किस काम आएगी ? लोगों की आलोचना सुनकर सेठजी अपनी भूलपर मन ही मन पश्चात्ताप करने लग गये।
कहने का अभिप्राय यह है कि उक्त सेठ की तरह इंजीनियर रूपी शिक्षक लगाकर माता-पिता छात्ररूपी महल तो खड़ा कर लेते हैं, वह दिखाई भी बड़ा शानदार देता है, परन्तु उसमें सुसंस्कारों की सीढ़ियाँ नहीं लग पातीं। इस कारण वह गहल निरुपयोगी हो जाता है और सूना होकर पड़ा पड़ा खराब हो जाता है। संस्कारों के अभाव में वह जिन्दगी बर्बाद हो जाती है। ऐसे छात्र छोटी-छोटी बात पर भी माता-पिता को ही धमकी देकर घर तक से निकल भागते हैं ।
लड़कों की आत्महत्या और उनके फरार हाने का उत्तरदायित्व माताओं पर भी कम नहीं है । वे पहले तो लड़के को लाड़-प्यार करके सिर चढ़ा लेती हैं, उसे बिगाड़ देती हैं, उसे उच्छृंखल बना देती हैं, और जब वह बड़ा होता है, तो उसकी इच्छाओं पर कठिन प्रतिबन्ध लगाना शुरू कर देती हैं। जब लड़का अपने चिरपरिचित वातावरण और व्यवहार के विरुद्ध आचरण देखता है, तो उसे सहन नहीं कर पाता और फिर न करने योग्य काम भी कर बैठता है ।
छात्रों की दुर्बलता : उनका महान् कलंक :
कारण चाहे कुछ भी हो और कोई भी हो, फिर भी हमारे नव-युवकों की यह दुर्बलता उनके लिए कलंक की बात है। नवयुवक को तो प्रत्येक परिस्थिति का दृढ़ता और साहस के साथ सामना करना चाहिए। उसे प्रतिकूलताओं से जूझना चाहिए, असफलताओं से लड़ना चाहिए, विरोध के साथ संघर्ष करना चाहिए, कठिनाइयों को कुचल डालने के लिए तैयार रहना चाहिए और बाधाओं को उखाड़ फेंकने की हिम्मत अपने अंतर्मन में रखनी चाहिए। उसे कायरता नहीं सोहती । दुर्बलता उसके पास
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