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________________ संस्कृति और सभ्यता |३८७ का अंश-दान है। यह संस्कृति रसायन की प्रक्रिया से तैयार हुई है और उसके अन्दर अनेक औषधियों का रस समाहित है। भारत में समन्वय की प्रक्रिया चींटियों की प्रक्रिया नहीं, जो अनाज के कणों को एक स्थान पर एकत्रित कर देती हैं। इस प्रकार का समन्वय वास्तविक समन्वय नहीं कहा जा सकता। क्योंकि अनेक अनाजों के अनगिनत दाने एक बर्तन में एकत्रित किए जाने पर भी अलग-अलग गिने और पहचाने जा सकते हैं। चींटियाँ अनाज के कणों को एकत्रित तो कर देती हैं, किन्तु उनका एक-दूसरे में विलय नहीं कर पातीं। भारतीय संस्कृति मधुमक्खियों की प्रक्रिया जैसी रही है। मधुमक्खियाँ अनेक वर्गों के फूलों से विभिन्न प्रकार का रस एकत्रित करके मधु के रूप में उसे एक ऐसा स्वरूप देती हैं कि कोई भी फूल वहाँ सबसे ऊपर नहीं बोलता। भारतीय संस्कृति, अनेक संस्कृतियों के योग से बना हुआ वह मधु है, जिससे विभिन्न वर्गों के पुष्पों का योगदान रहा है, किन्तु फिर भी सबका सामान्यीकरण हो चुका है। भारत की सांस्कृतिक एकता : ___ भारत की यह सांस्कृतिक एकता मुख्यतः दो कारणों पर आधारित है- पहला कारण तो भारत का भूगोल है, जिसने उत्तर और पूरब की ओर पहाड़ों से तथा दक्षिण और पश्चिम की ओर समुद्रों से घेर कर भारत को स्वतन्त्र भू-भाग का रूप दे दिया है। दूसरा कारण, इस एकता का एक प्रमुख कारण हिन्दू धर्म भी है, जो किसी भी विश्वास के लिए दुराग्रह नहीं करता, जो सहिष्णुता, स्वाधीन चिन्तन एवं वैयक्तिक स्वतन्त्रता का संसार में बड़ा समर्थक रहा है। यही कारण है कि भारत के विशाल मैदानों में सभी प्रकार के धर्मों को पनपने का समान अवसर मिला है। यहाँ पर कट्टर ईश्वरवादी धर्म भी पनपा है और परम नास्तिक चार्वाक जैसा दर्शन भी पल्लवित हुआ है। भारत में साकार की उपासना करने वाले भी रहे हैं। धर्म के विकास के लिए और अपने-अपने विचार का प्रचार करने के लिए, भारत में कभी किसी प्रकार का प्रतिबन्ध नहीं रहा है। यहाँ पर साधक एवं उपासक को इतनी स्वतन्त्रता रही है कि वह अपने आदर्श के अनुसार चाहे किसी एक देवता को माने, अथवा अनेक देवताओं को माने। भारत में वेद का समर्थन करने वाले भी हुए हैं। और वेद का घोर विरोध करने वाले भी हुए हैं। भारत की धरती पर मन्दिर, मस्जिद और चर्च तीनों का सुन्दर समन्वय हुआ है। मेरे विचार में इस एकता और समन्वय का कारण भारतीय दृष्टिकोण की उदारता एवं सहिष्णुता ही है। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति एक ऐसी संस्कृति है, जिसमें अधिक से अधिक संस्कृतियों का रंग मिला हुआ है और जो अधिक से अधिक विभिन्न जातियों की मानसिक एवं आध्यात्मिक एकता का प्रतिनिधित्व कर सकती है। आज के नवीन विश्व को यदि भारत से कुछ पाना है, तो वह प्राचीन भारत से ही प्राप्त कर सकता है। प्राचीन भारत के उपनिषद, आगम और त्रिपिटक आज भी इस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001300
Book TitleChintan ki Manobhumi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1995
Total Pages561
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size10 MB
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