________________
· धर्म और जीवन २८१ उद्देश्य है। अतएव आध्यात्म जीवन की एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भावात्मक स्थिति है, निषेधात्मक नहीं। यदि संक्षिप्त रूप में कहा जाए, तो आध्यात्म जीवन के स्थायी मूल्य की ओर दिशासूचन करने वाला वह आयाम है, जो किसी वर्ग, वर्ण, जाति और देश की भेदवृत्ति के बिना, एक अखण्ड एवं अविभाज्य सत्य पर प्रतिष्ठित है। वस्तुतः आध्यात्म मानव मात्र की अन्तश्चित् शक्ति महासत्य का अनुसन्धान करने वाला वह मुक्तद्वार है, जो सबके लिए सदा और सर्वत्र खुला है। अपेक्षा सिर्फ मुक्त भाव से प्रवेश करने की है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org