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योग और क्षेम | २६७ विद्या अज्ञान के अन्धकार को ध्वस्त करने के लिए है, ज्ञान के प्रकाश के लिए है। उस विद्या का उपयोग यदि पन्थों और मजहबों की लड़ाई में किया जाए, तो उस विद्या से वातावरण पवित्र नहीं होता, बल्कि और अधिक कलुषित बन जाता है।
- अजमेर सम्मेलन के अवसर पर एक परम्परा के किसी वृद्ध मुनि से किसी दूसरी परम्परा के मुनि ने सिद्धान्त कौमुदी के मंगल श्लोक का अर्थ पूछा। वृद्ध मुनि को उस श्लोक का अर्थ कुछ विस्मृत हो गया था। इस पर वह मुनि लोगों में इस बात के प्रचार पर उतारू हो गया कि ये कैसे पण्डित हैं ? एक श्लोक का अर्थ पूछा, वह भी नहीं बता सके ? दूसरी बार जब किसी विषय पर तत्त्व-चर्चा चल रही थी, तो मैंने उन्हें जरा गहराई में धकेल दिया। प्रतिप्रश्न पूछा तो डगमगा उठे। आखिर उन्होंने स्वीकार किया कि मुझे स्मरण नहीं है। परन्तु अपनी इस विस्मृति का उन्होंने कहीं भी कोई जिक्र नहीं किया। विद्या के दंभ में आकर व्यक्ति दूसरों की गलती पर तो उनका मजाक उड़ाता है, किन्तु अपनी गलती की कभी कहीं चर्चा भी नहीं करता।
इसी प्रकार वह धन और शक्ति का दुरुपयोग करता है। तुम्हारे पास धन है तो इसका यह मतलब नहीं कि उससे दूसरों के लिए आफत खड़ी करो। धन, सम्पत्ति
और ऐश्वर्य दान के लिए होता है, न कि अहंकार के लिए। तुम्हारे पास यदि शक्ति है, तो किसी गिरते हुए को बचाओ, न कि उसको एक धक्का लगा कर और जोर से गिराने की चेष्टा करो। शक्ति और विवेकः
यह मान्यता सही नहीं है कि जो वस्तु मिली है उसका कुछ न कुछ उपयोग होना चाहिए, चाहे किसी भी रूप में क्यों न हो, यह गलत धारणा है। उपभोग के साथ में विवेक का होना आवश्यक है। शक्ति तो दुर्योधन और दुःशासन में भी थी, कंस और रावण में भी थी, किन्तु उनकी शक्ति से विश्व को हानि ही पहुँची । इसलिए उनकी शक्ति आसुरी शक्ति कहलाई थी। ..
एक सेठ ने चन्दन की लकड़ियाँ खरीद कर अपने गोदाम भर रखे थे। सोचा था—चन्दन के भाव तेज होने पर इससे मुनाफा कमाऊँगा । इसी बीच सेठ किसी कार्यवश कहीं बाहर चला गया। पीछे वर्षा आने से घर में ईंधन की कमी हुई, तो सेठानी ने इधर-उधर तलाश की। गोदाम को जब खोला, तो सेठानी लकड़ियों का ढेर देखकर बड़ी खुश हुई। सोचा, वास्तव में सेठ बड़े ही बुद्धिमान हैं, जो समय पर काम आने के लिए घर में हर वस्तु का पहले से ही संग्रह कर रखते हैं। सेठानी ने धीरे-धीरे चन्दन की सब लकड़ियाँ जला डालीं। पीछे से जब सेठ आया तो एक दिन मन में विचार किया कि चन्दन का भाव बहुत तेज हो गया है। अतः अब बेचने से बहुत अच्छा लाभ मिल जायगा। खुशी-खुशी उसने जब गोदाम खोला, तो एकदम सन्न रह गया कि यह क्या? यहाँ तो सब चौपट हो गया ! उसने सेठानी से पूछा
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