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स्वरूप की साधना | २५५ __एक मनुष्य है, सेवा बहुत करता है, रात दिन सेवा में जुटा रहता है, सेवा के पीछे-खाना-पीना सब कुछ भुला देता है, पर जब बोलता है, तो कड़वा जहर। सुनने वालों के कलेजे जल जाते हैं। विचार-कीजिए, वह सेवा किस काम की हुई ?
कुछ लोग वाणी से बोलते हैं तो ऐसा लगता है कि बर्फ में चीनी घोल रहे हैं, बहुत मीठे, शीतल, शिष्ट और सुन्दर। किन्तु हृदय में देखो तो, सर्वनाश की कैंची चल रही होती हैं, बर्बाद कर देने की आरा मशीन चल रही होती है। किसी भोले भाले गरीब का मिनटों में ही सब कुछ साफ कर डालते हैं। तो, भला यह मीठी वाणी भी किस काम की?
बात यह है कि कर्म के साथ मन भी सुन्दर होना चाहिए, वाणी भी मधुर होनी चाहिए। मन, वाणी और कर्म का सम्यक् सन्तुलन होना चाहिए, तभी उनमें सर्वांगीणता आएगी और तभी वे सुन्दर लगेंगे। तीनों की सुन्दरता ही जीवन की सुन्दरता है और तीनों का वैषम्य जीवन की कुरूपता है। नम्रता और सरलता :
एक सज्जन हैं, बड़े ही नम्र! कभी गर्म नहीं होते, ऊँचे नहीं आते। लाख कड़वी बात कह लीजिए, झुकते ही चले जाएँगे, पर झुकते-झुकते आखिरी दाव लगाएँगे कि सामने वाला चारों खाने चित्त। बड़ी कुटिलता, धूर्तता भरी रहती है, उनके मन में। नम्रता, कुटिलता छिपाने का एक कवच मात्र है, धोखे की टट्टी है! उस नम्र व्यक्ति को आप क्या कहेंगे-चीता है, धूर्त है। चूँकि आप जानते हैं
"नमन नमन में फर्क है, सब सरिखा मत जान। .
दगाबाज दूनो नमै, चीता चोर कमान॥" केवल झुक जाना कोई नम्रता नहीं है। शिकार को देख कर चीता भी झुकता है, मालिक को जगा देखकर चोर भी झुक-झुक कर छडूंदर की तरह किनारे-किनारे निकल जाता है, और कमान (धनुष) भी तीर फेंकने से पहले इतना झुकता है कि दुहरा हो जाता है। पर क्या वह नम्रता है, वह कोई सद्गुण है? जी नहीं! मुझसे पहले ही आप निर्णय दे रहे हैं कि 'नहीं' क्योंकि वह एकांगी विनम्रता है, उसके साथ मन की सरलता नहीं है, हृदय की पवित्रता नहीं है। एकांगी विशेषता, सद्गुण नहीं हो सकती, सर्वांग वैशिष्ट्य ही सद्गुण का रूप ले पाता है। नम्रता के अनन्त रूप :
: आप कहेंगे कि जीवन में समग्रता आनी चाहिए, यह बात तो ठीक है, पर एक साथ ही यह समग्रता एवं संपूर्णता कैसे आ सकती है ? समग्र गुणों को एक साथ कैसे अपना सकते हैं ?
मैं मानता हूँ, यह एक समस्या है, काफी बड़ी समस्या है। यदि गंगा के समूचे प्रवाह को एक ही चुल्लू में भरना चाहें, तो नहीं भर सकते, सुमेरु को एक ही हाथ से
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