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२४४ चिंतन की मनोभूमि प्रवाह असत् की ओर है, असत् रूप में जो वे बह रही हैं, उन्हें अलग फेंक देना है, उनका प्रवाह मोड़ देना है और मूल अन्तर की जो धारा है, उसी के अनुकूल प्रवाह में उन्हें भी बदल देना है।
प्राणी में मूलतः पाँच वृत्तियाँ पाई जाती हैं, जो उसके भीतर निरन्तर जाग्रत रहती हैं, हलचल मचाती रहती हैं। चैतन्य जो है, वह एक अन्तर तत्व है। वह न कभी जन्म लेता है, न कभी मरता है, न कभी जवान होता है, न कभी बूढ़ा । जब बूढ़ा नहीं होता, पुराना नहीं होता, तो फिर बचपन और नयापन का प्रश्न ही नहीं उठता। मृत्यु उसी की होती है, जो जन्म लेता है और, जो जन्म लेता है, वह मरता भी अवश्य है। इस चेतन ने कभी जन्म धारण नहीं किया, यह सदा जीवित रहता है, इसीलिए इसका नाम जीव है। जीव क्या है ? जो सदा जीवित रहे। अथवा जो सदा जीने की चाहना करे वही जीव है।
जिजीविषा—जीने की इच्छा प्राणिमात्र का स्वभाव है। एक आचार्य ने तो यहाँ तक कहा है कि
"अमेध्य मध्यस्य कीटस्य सुरेन्द्रस्य सुरालय।
सदृशी जीवने वांच्छा तुल्यं मृत्यभयं द्वयौः॥" सुरेन्द्र, जिसके कि एक संकेत पर हजारों हजार देवता हाथ जोड़े खड़े रहते हैं, अपार सुख और वैभव उनके चरणों में लोटता है, उसमें जो जीने की लालसा है. वही लालसा एक गन्दी मोरी के कीड़े में भी है। जो कीड़ा गन्दगी में कुलबुला रहा है, उसे यदि छू दिया जाए, छेड़ दिया जाए, तो वह भी अपने शरीर को संकुचित करने की चेष्टा करता है, हलचल मचाता है और इधर-उधर बचने के लिए प्रयत्न करता है। उसमें भी जीने की उतनी ही तीव्र लालसा है, जितनी कि देवराज इन्द्र में है। यों समझ लीजिए कि जीवन जितना आपको प्रिय है, उतना ही उस कीड़े को भी प्रिय है। जीना स्वभाव है:
जीना जीव का स्वभाव है। आप और हम जीना चाहते हैं, संसार का सबसे छोटे से छोटे प्राणी—कीड़े-मकोड़े तक जीना चाहते हैं। कोई पूछे कि क्यों जीना चाहते हैं ? तो उत्तर यही है कि उनका स्वभाव है। कोई मरता क्यों है ? यह एक प्रश्न हो सकता है, बीमारी से मरता है, अपघात से मरता है, एक्सीडेंट से मरता है, इसके हजारों उत्तर हो सकते हैं, हजारों कारण हो सकते हैं, पर जीता क्यों है, इसका एक ही कारण है कि जीना उसका स्वभाव है, जीवन चाहना प्राणी का लक्षण है। लक्षण कभी बदलता नहीं। संसार के समस्त प्रयत्न किसलिए चल रहे हैं ? मजदूर कड़ी चिलचिलाती धूप में कठोर परिश्रम कर रहा है, उससे पूछो तो कहेगा, पेट के. लिए? और पेट किसलिए भरना चाहता है ? इसे खाली रहने दिया जाय, तो क्या
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