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सत्शास्त्राकापारचय
प्र. १: सत्शास्त्र क्या हैं ? उ. १: आत्मज्ञानादि पवित्र और आनंदमय भावोंको प्राप्त हुए
महात्माओंके वचन ही सत्शास्त्र हैं । उन सत्शास्त्रोंके मूल स्रोत श्रीसर्वज्ञ परमात्मा हैं, क्योंकि उनके परिपूर्ण ज्ञानसे उद्भूत ज्ञानके आधार पर ही प्रज्ञावंत पूर्वाचार्योने
और ज्ञानी महात्माओंने शास्त्रादिककी रचना की है। प्र. २ : सत्शास्त्रोंका परिचय क्या है ? उ. २ : शांतरसकी जिसमें मुख्यता है, शांतरसके प्रयोजनरूप
जिसका समस्त उपदेश है, सर्वरस शांतरसगर्भित जिसमें वर्णित हैं, ऐसे शास्त्रोंका परिचय ही सत्शास्त्रोंका परिचय
प्र. ३ : ज्ञानी और सर्वज्ञ परमात्माका ज्ञान समान है ? उ. ३ : जातिकी अपेक्षासे देखें तो, दोनोंका ज्ञान सम्यग्ज्ञान है ।
ज्ञानीका ज्ञान अल्प और परोक्ष है जबकि सर्वज्ञका ज्ञान तो परिपूर्ण और सकलप्रत्यक्ष है । ऐसा होने पर भी दोनोंके वचन केवल वीतरागताका ही उपदेश देते हैं, और तत्व समझाते हैं - सत्यस्वरूप इस अपेक्षासे समान
प्र. ४ : कैसे शास्त्रोंका परिचय करना चाहिए ? उ. ४ : (१) जिसमें वीतरागताका उपदेश दिया हो।
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