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________________ ३२८ प्रमेयकमलमार्तण्डे विपक्षे पुनरसत्त्वमेव निश्चितं साध्याविनाभावनियमनिश्चयस्वरूपमेव । इति तदेव हेतोः प्रधानं लक्षणमस्तु किमत्र लक्षणान्तरेण ? न च सपक्षे सत्वाभावे हेतोरनन्वयत्वानुषङ्गः; अन्तर्व्याप्तिलक्षणस्यतथोपपत्तिरूपस्यान्वयस्य सद्भावादन्यथानुपपत्तिरूपव्य तिरेकवत् । न खलु दृष्टान्तर्मिण्येव साधयं वैधयं वा हेतोः प्रतिपत्तव्यमिति नियमो युक्तः; सर्वस्य क्षणिकत्वादिसाधने सत्त्वादेरहेतुत्वप्रसङ्गात् । अर्थात् नहीं रह सकता। श्रावणत्वादि हेतुमें प्रसिद्धदोष तो दूरसे समाप्त होता है क्योंकि शब्दमें श्रावण (सुनने योग्य अथवा श्रवणज्ञान द्वारा ग्राहय) पनेका सत्त्व निश्चितरूपसे है। अंतमें यह निष्कर्ष निकलता है कि पक्षधर्मत्व या सपक्ष में सत्त्व रहना यह कोई भी हेतुका लक्षण नहीं है। विपक्षमें असत्व होना रूप लक्षण यही है कि साध्यके साथ अविनाभाव नियमसे हेतुका वर्तना। बस ! यही हेतु का प्रधान लक्षण है, अन्य सपक्षसत्वादि लक्षणोंसे कुछ भी प्रयोजन नहीं सधता । __ शंका-सपक्षसत्वरूप लक्षण न होवे तो हेतुमें अन्वयव्याप्तिका अभाव हो जायगा ? समाधान-ऐसा नहीं होगा, अंतर्व्याप्ति ( पक्ष में साध्यसाधनकी व्याप्ति ) लक्षणवाली तथोपपत्ति ( साध्यके सद्भावमें साधनका होना ) रूप अन्वयका सद्भाव होनेसे सपक्षसत्वके अभावमें भी हेतुका अन्वयत्व बन जाता है, जैसे कि अन्यथानुपपत्ति से व्यतिरेक बनता है। यह नियम नहीं है कि दृष्टांतधर्मी में ही हेतुका साधर्म्य (अन्वय) या वैधर्म्य (व्यतिरेक) निश्चित हो । यदि ऐसा माने तो "सर्वं क्षणिक सत्त्वात्" इस अनुमान का सत्त्व हेतु सदोष (हेत्वाभास) होवेगा, क्योंकि इसमें दृष्टांतका अभाव होनेसे उक्त अन्वयपना संभव नहीं है। अंतमें यह निश्चय होता है कि हेतुका लक्षण त्रैरूप्य न होकर साध्याविनाभावित्व ही है । क्योंकि त्रैरूप्य के रहते हुए भी हेतु साध्य का गमक नहीं होता और त्रैरूप्य का सद्भाव हो चाहे अभाव साध्याविनाभावित्व गुण युक्त है तो वह हेतु साध्यका गमक होता है। ॥ समाप्त ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001277
Book TitlePramey Kamal Marttand Part 2
Original Sutra AuthorPrabhachandracharya
AuthorJinmati Mata
PublisherLala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
Publication Year
Total Pages698
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Nyay
File Size15 MB
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