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________________ प्रमेयकमलमार्तण्डे भूयो निश्चयानिश्चयौ हि स्मर्यमाणप्रत्यभिज्ञायमानौ तत्कारणमिति स्मरणादेरपि तनिमित्तत्वप्रसिद्धिः । मूलकारणत्वेन तूमलम्भादेरत्रोपदेशः, स्मरणादेस्तु प्रकृतत्वादेव तत्कारणत्वप्रसिद्ध रनुपदेश इत्यभिप्रायो गुरूणाम्। तच्च व्याप्तिज्ञान तथोपपत्त्यन्यथानुपपत्तिभ्यां प्रवर्तत इत्युपदर्शयंति-इदमस्मिन्नित्यादि । इदमस्मिन् सत्येव भवति असति तु न भवत्येवेति च ॥१२॥ स्मरणादिमें भी व्याप्ति ज्ञानका हेतुपना सिद्ध है। व्याप्ति ज्ञान का मूल निमित्त उपलंभादि होने से उनका सूत्र में उपदेश किया है, स्मरणादि तो प्रस्तुत होने से ही तर्क के निमित्तरूप से सिद्ध है अतः उनका सूत्र में उल्लेख नहीं किया है, इस तरह गुरुदेव माणिक्यनन्दी आचार्य का अभिप्राय है । विशेषार्थ- तर्क प्रमाणके निमित्त का प्रतिपादन करते हुए प्रभाचन्द्राचार्य ने सबसे पहले यह खुलासा किया कि—साध्य साधन के व्याप्ति का ज्ञान केवल प्रत्यक्ष निमित्तक नहीं है अपितु प्राप्त पुरुष के [यो यत्र अवचंकः स स्तत्र प्राप्तः] वाक्यों को सुनकर और अनुमान द्वारा भी व्याप्ति ज्ञान होता है । यदि साध्य साधन के अविनाभाव का निश्चय केवल प्रत्यक्ष द्वारा होना माने तो अतीन्द्रिय रूप साध्य साधनका अविनाभाव ज्ञात नहीं हो सकेगा। इस पुरुषके पुण्य का सद्भाव पाया जाता है, क्योंकि विशिष्ट सुखादिकी अन्यथानुपपत्ति है । सूर्य के गमन शक्ति का अविनाभाव भी प्रत्यक्ष व गम्य नहीं होता । अतः जो परवादी व्याप्ति का ग्रहण केवल प्रत्यक्ष द्वारा होना मानते हैं वह असत् है । तर्क में स्मरणादि ज्ञान भी निमित्त हुआ करते हैं, यदि साध्य साधन के अविनाभाव का ज्ञान विस्मृत हो जाय तो तर्क प्रमाण प्रवृत्त नहीं होता प्रत्यभिज्ञान भी इस ज्ञान में निमित्त होता है किन्तु मुख्य कारण उपलंभ अनुपलभ है अतः इन्हीं को सूत्र बद्ध किया है। उस तर्क प्रमाण की प्रवृत्ति तथोपपत्ति और अन्यथानुपपत्ति द्वारा होती है ऐसा प्रतिपादन करते हैं इदमस्मिन् सत्येव भवति असति तु न भवत्येवेति च ।।१२।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001277
Book TitlePramey Kamal Marttand Part 2
Original Sutra AuthorPrabhachandracharya
AuthorJinmati Mata
PublisherLala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
Publication Year
Total Pages698
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Nyay
File Size15 MB
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