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विषयानुक्रमणिका
१-२६ तक
विषय बौद्ध एवं नैयायिक द्वारा अभिमत अर्थकारणवादका निरसन तथा पालोककारणवादका निरसन पदार्थ और प्रकाश ज्ञानके कारण नहीं हैं क्योंकि वे ज्ञान के विषय हैं.... घटादि विषयक ज्ञान घटादि पदार्थोंका कार्य है यह किसी अन्य प्रमाणद्वारा ज्ञात होता है ऐसा कहना भी आसत् है.... पदार्थ और पदार्थ के साथ ज्ञानका अन्वय व्यतिरेक नहीं पाया जाता.... विपर्यय आदि ज्ञानोंमें कौनसा पदार्थ कारण है.... संशयादि ज्ञान भ्रांत है अतः बिना पदार्थके होते हैं ऐसा कहना असत् है.... नैयायिकके ईश्वरका ज्ञान नित्य होनेसे पदार्थसे उत्पन्न नहीं हो सकता.... पदार्थ जहां नहीं होते वहां भी प्रतीति होती है.... यदि अंधकारका पदार्थरूप स्वीकार नहीं करते तो प्रकाश भी सिद्ध नहीं होगा.... ज्ञानमें वैशद्य प्रकाशसे आया तो जब ज्ञान प्रकाशको विषय बनाता है तब उसमें वैशद्य किससे आता है ?.... ज्ञान पदार्थ और प्रकाशसे उत्पन्न नहीं हुआ तो भी उनको प्रकाशित करता है.... अपने प्रावरणके क्षयोपशमानुसार ज्ञान प्रतिनियत पदार्थको प्रतिभासित करता है.... जो ज्ञानका कारण वही ज्ञान द्वारा जाना जाता है ऐसा माने तो इन्द्रियोंके साथ व्यभिचार होगा.... आवरण विचार, संवर निर्जरा सिद्धि, कर्मोंका पुद्गलपना द्रव्यादि सामग्रो विशेष द्वारा नष्ट हो गये हैं प्रावरण जिसके ऐसे अतोन्द्रिय ज्ञानको मुख्य प्रत्यक्ष कहते हैं.... शरीरादिको आवरण नहीं मानते अपितु कर्म नामक पुद्गल को कर्म मानते हैं.... अविद्याको भी आवरण नहीं मानते.... अष्ट नामा आत्माके गुणको आवरण मानना भी प्रयुक्त है.... संवर निर्जरा सिद्धि.... सर्वज्ञत्ववाद....
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४०-४७ ४६-१८
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