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प्रमेयकमलमार्तण्डे
प्ययुक्तम्, परमार्थतः प्रागभावादीनां साङ्कर्यप्रसङ्गात् । न खलू पचरितेनाभावेनान्योन्यमभावानां व्यतिरेकः सिद्ध्येत्, सर्वत्र मुख्याभावकल्पनानर्थक्यप्रसङ्गात् ।
यदप्युक्तम्-'न भावस्वभावः प्रागभावादिः सर्वदा भावविशेषणत्वात्' इति; तदप्युक्तिमात्रम् ; हेतोः पक्षाव्यापकत्वात, 'न प्रागभावः प्रध्वंसादौ' इत्यादेरभावविशेषणस्याप्यभावस्य प्रसिद्ध। गुणादिनानेकान्ताच ; अस्य सर्वदा भावविशेषणत्वेपि भावस्वभावात् । 'रूपं पश्यामि' इत्यादिव्यवहारे गुणस्य स्वतन्त्रस्यापि प्रतीतेः सर्वदा भावविशेषणत्वाभावे अभावस्तत्त्वम्' इत्यभावस्यापि स्वतन्त्रस्य प्रतीतेः शश्वद्भावविशेषणत्वं न स्यात् । सामर्थ्यात्तद्विशेष्यस्य द्रव्यादेः सम्प्रत्ययात्सदास्य भावविशेषउपचरित मानेंगे तो उन प्रागभावादि में सांकर्य हो जायगा, प्रागभाव में प्रध्वंसाभाव का अभाव उपचार से है तो इसका मतलब परमार्थसे वे दोनों एक हैं ? जो अभाव उपचरित है उसके द्वारा प्रभावों की परस्परकी पृथक्ता सिद्ध नहीं हो सकती है । यदि उपचरित प्रभाव से परस्पर की पृथक्ता सिद्ध होती है तो मुख्य प्रभाव को मानना बेकार ही है।
मीमांसक ने कहा था कि-भाव स्वभाववाले जो पदार्थ होते हैं वे प्रागभाव आदि रूप नहीं होते, क्योंकि वे सर्वदा-हमेशा भाव विशेषण रूप हैं 'सो यह कथन प्रयुक्त है" "सर्वदा भाव विशेषणत्वात् हेतुपक्ष में अव्यापक है, कैसे सो ही बताते हैंप्रागभाव प्रध्वंसाभावादि में नहीं है" इत्यादि अनुमान वाक्यों में प्रभाव भी प्रभाव का विशेषण होता है, ऐसा सिद्ध होता है । तथा सर्वदा भाव विशेषणत्वात् हेतु गुण आदि के साथ भी अनैकान्तिक हो जाता है । क्योंकि गुण सर्वदा भाव विशेषण रूप होने पर भी भाव स्वभाव वाले हैं । रूपको देखता हूँ, इत्यादि जो वचन व्यवहार होता है, उसमें गुणों की स्वतंत्रता भी आती है अर्थात् उस समय वे गुण विशेष्य भी बन जाते हैं । सर्वदा भाव विशेषरण का अभाव होनेपर भी "प्रभाव तत्व है" इत्यादि वाक्य में प्रभाव की स्वतंत्रतासे भी प्रतीति होती है ( इस वाक्य में प्रभाव विशेषण बना है न कि भाव ) अत: भाव ही विशेषण होता है ऐसा हमेशा का नियम नहीं बनता।
मीमांसक-अपने प्रभाव को विशेषण रूप सिद्ध करने के लिये "अभाव स्तत्त्वम्" अभाव तत्त्व है, ऐसा उदाहरण दिया है, किन्तु उस वाक्य से अभाव में विशेष्यत्व है ऐसा सिद्ध नहीं होता, वहां तो सामर्थ्य से द्रव्य विशेष्यका ही बोध होता है अर्थात् "अभाव तत्व है" किसका है ? घटका है ऐसा अर्थ निकलता है।
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