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शक्तिस्वरूपविचार:
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किञ्च, असौ शक्तिनित्या, अनित्या वा स्यात् ? नित्या चेत्सर्वदा कार्योत्पत्तिप्रसङ्गः । तथा च सहकारिकारणापेक्षा व्यर्थार्थानाम् तल्लाभात्प्रागेव कार्यस्योत्पन्नत्वात् । प्रथानित्यासौः कुतो जायते ? शक्तिमतश्च त्; कि शक्तात्, अशक्ताद्वा ? शक्ताच्चच्छक्त्यन्तरपरिकल्पनातोऽनवस्था स्यात् । अशक्तात्तदुत्पत्तो कार्यमेव तथाविधात्ततः किन्नोत्पद्यत ? अलमतीन्द्रियशक्तिकल्पनया।
तथा, शक्तिः शक्तिमतो भिन्ना, अभिन्ना वा स्यात् ? अभिन्ना चेत् ; शक्तिमात्र शक्तिमन्मात्रं
कारान्तर को करती है तो इस प्रकार से बड़ी ही लम्बी अनवस्था उपस्थित हो जाती है ?
समाधान-इस तरह अनवस्था की आशंका प्रयुक्त है, क्योंकि चरम सहकारी की जो शक्ति है.वह पूर्व सहकारी की ही है, अन्य २ सहकारियों के पारस्परिक संबंध से ही वह शक्ति कार्य का संपादन करती है, इसी इतरेतराभिसंबंधरूप शक्तिका नाम ही "समग्रानां-कारणानां-भावः सामग्री" इस भाव प्रत्ययके अनुसार सामग्री कहा गया है, क्योंकि जब वे सब विवसित कारण मौजूद रहते हैं तभी उन्हें समग्र इस नाम से कहा जाता है । जैन से हम नैयायिक पूछते हैं कि अतीन्द्रिय शक्ति नित्य है कि अनित्य ? नित्य माने तो हमेशा कार्य होता रहेगा, उसकी उत्पत्ति रुकेगी नहीं, इस तरह कार्य होते रहने पर तथा शक्ति को नित्य मानने पर कार्यों को अपनी उत्पत्ति में सहकारी कारणों की अपेक्षा लेना भी व्यर्थ हो जायेगा, क्योंकि पदार्थों के द्वारा होने वाले कार्य सहकारी कारणों के मिलने के पहले ही उत्पन्न हो चुकेंगे ? यदि इस अतीन्द्रिय शक्ति को अनित्य माने तो हम पूछते हैं कि वह अनित्य शक्ति किससे पैदा हुई ? कहो कि शक्तिमान से हुई तो वह शक्तिमान भी शक्त है या अशक्त है ? अर्थात् शक्त शक्तिमान से शक्ति पैदा हुई है ऐसा कहो तो पुन: प्रश्न होगा कि शक्तिमान किससे शक्त हुआ ? इस तरह की कल्पना बढ़ती जाने से अनवस्था दोष प्राता है । अशक्त शक्तिमान से शक्ति का उत्पन्न होना माना जाय तो कार्य भी अशक्त कारण से क्यों नहीं उत्पन्न होगा ? अर्थात् जैसे अशक्त शक्तिमान से शक्ति पैदा होती है वैसे उसी अशक्त से सीधा कार्य उत्पन्न होता है ऐसा मान लेना चाहिये। इस प्रकार अतीन्द्रिय शक्ति की कल्पना करने की आवश्यकता ही नहीं रहती है । किञ्च-वह शक्तिमान से भिन्न है कि अभिन्न है ? यदि अभिन्न है तो शक्ति ही रहेगी या शक्तिमान ही रहेगा ? क्योंकि दोनों परस्पर में अभिन्न हैं ? यदि शक्ति से शक्ति
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