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________________ शक्तिविचार का पूर्वपक्ष हम नैयायिक वस्तुस्वरूप को छोड़कर अन्य अतीन्द्रिय स्वभाववाली शक्ति नामकी कोई चीज नहीं मानते हैं। क्योंकि कार्य तो वस्तुस्वरूप से ही निष्पन्न हुआ करता है। स्वरूपादुद्भवत्कार्य सहकार्युपबृहितात् । नहि कल्पयितु शक्यं शक्तिमन्यामतीन्द्रियाम् ।। १ ॥ अर्थ-सहकारिकारणों से सहकृत ऐसा जो वस्तुस्वरूप है उससे उत्पन्न हुआ कार्य जब स्पष्ट ही दिखाई देता है तब उसमें एक और न्यारी अतीन्द्रिय शक्ति कौनसी है कि जिसकी उत्पत्ति के लिये कल्पना करनी पड़े । अर्थात् सहकारी की सहायता से वस्तुस्वरूप ही कार्य को करने वाला है, अत: दृष्टि अगोचर शक्तिनामक कोई भी पदार्थ कार्यनिष्पत्ति में आवश्यक नहीं है । अब यहां कोई मीमांसक प्रादि शक्ति के विषय में शंका उपस्थित करते हैं "ननु शक्तिमन्तरेण कारकमेव न भवेत्, यथा पादपं छेत्तुमनसा परशुरुद्यम्यते तथा पादुकाद्यप्युद्यम्येत । शक्त रनभ्युपगमे हि द्रव्यस्वरूपाविशेषात् सर्वस्मात् सर्वदा कार्योदयप्रसङ्गः" ।। अर्थ-शक्ति के बिना कोई भी पदार्थ किसी का कर्ता नहीं हो सकता। यदि वस्तु में शक्तिनामक कोई भी चीज नहीं है तो जैसे वृक्षको काटने का इच्छुक पुरुष कुठार को उठाता है वैसे ही वह पादुका-खडाऊ आदि को उठा सकता है, क्योंकि पादुका और कुठार कोई पृथक् चीज तो है नहीं, पादुका वस्तु है और कुठार भी वस्तु है। इस प्रकार सभी वस्तुओं से सर्वदा ही सब कार्य होने का प्रसङ्ग प्राप्त होगा ? सो इस प्रकारकी इस शंका का निवारण करते हुए कहते हैं- “तदेतदनुपपन्नम् यत्तावदुपादाननियमादित्युक्तम् तत्रोच्यते नहि वयमद्य किञ्चिदभिनवं भावानां कार्यकारणभावमुत्थापयितु शक्नुम: किन्तु यथाप्रवृत्तमनुसरन्तो व्यवहराम: । तत्र छेदनादान्वयव्यतिरेकाभ्यां परश्वादेरेवकारणत्वमध्यवगच्छाम इति, तदेव तदथिन उपाददुमहे न पादुका दीति, न च परश्वादेस्स्वरूपसन्निधाने सत्यपि सर्वदा कार्योदय: स्वरूपवत् सहकारिणामप्यपेक्षणीयत्वात् सहकार्यादिसन्निधानस्य सर्वदा अनपपत्तेः" Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001276
Book TitlePramey Kamal Marttand Part 1
Original Sutra AuthorPrabhachandracharya
AuthorJinmati Mata
PublisherLala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
Publication Year1972
Total Pages720
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Nyay
File Size15 MB
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