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श्रर्थापत्तेः अनुमानेऽन्तर्भावः बरसात का अन्यथानुपपद्यमानत्व से ज्ञान होता है वैसे अविनाभावी अग्निका अन्यथानुपपत्ति से ज्ञान होता है, अन्तर नहीं है ।
तथा - आपके अनुमानप्रमाण को शामिल करने के लिये हमारे पास एक स्वतंत्र प्रत्यभिज्ञान प्रमाण है । इसी तरह प्रभाव प्रमाण भी प्रत्यक्षादि प्रमाण में अन्तर्भूत हो जाता है । इस तरह मीमांसक के ६ प्रमाणों की संख्या का व्याघात होता है ।
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ही घूमको देखकर उसका अतः दोनों एक ही हैं, कुछ
श्रर्थापत्ति श्रनुमानाऽन्तरभाव का सारांश समाप्त
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