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________________ पृष्ठ २५३ [२८] पृष्ठ | विषय चित्रात वाद (बौद्ध) २५१- २५५ में ज्ञान प्रविष्ट है ऐसा कहना भी गलत है बौद्धके चार भेदों में से एक चित्रातको कर्तृत्व, भोक्तृत्व, ज्ञातृत्व प्रादि धर्मोका मानते हैं अर्थात् ज्ञानमें नाना प्राधार चेतन ही है २६८ प्राकारोंको होना मानते हैं २५१ । बुद्धिको अचेतन प्रधानका धर्म मानेंगे ज्ञानोंके प्राकारोंका अशक्य विवेचन तो वह विषय ( घट पटादि ) क्यों है ? क्या वे ज्ञानसे अभिन्न की व्यवस्थापक नहीं हो सकती २७० २५२. । जो आत्माका अन्तःकरण हो वह बुद्धि यदि सुगत कालमें अन्य प्राणी नहीं ( ज्ञान ) है ऐसा कहना भी रहते तो वह किनपर कृपा । सदोष है २७१ करेंगे? अचेतनज्ञानवादके खंडनका सारांश २७२-२७३ चित्रात खंडनका सारांश २५४-२५५ साकारज्ञानवादका पूर्व पक्ष २७४-२७६ शून्याद्वैतवाद (बौद्ध) २५६-२५८ साकारज्ञानवाद [बौद्ध] २७७-२९५ ज्ञानके स्वव्यवसायात्मक विशेषणका ज्ञान पदार्थ से उत्पन्न होकर उसी के व्याख्यान सूत्र ६-७ २५६ अाकारको धारता है ऐसी बौद्ध अचेतनज्ञानवादका पूर्व पक्ष २६१-२६२ की मान्यतामें दूर निकटका व्यवहार सिद्ध नहीं हो सकता अचेतनज्ञानवाद (सांख्य) २६३-२७३ ज्ञान पदार्थ के प्राकार होता है तो ज्ञानको अचेतन मानने वाले सांख्यका जड़ाकार भी बन बैठेगा? २७८ पक्ष बिना जड़ाकार हुए जड़त्वको जानता है यदि ज्ञान आत्माका स्वभाव नहीं है तो तो बिना नीलाकार हुए नीलत्वको उसके चेतनत्व भोक्तृत्वादि स्वभाव भी क्यों नहीं जानेगा? २७६ भी नहीं हो सकते क्षयोपजन्य प्रतिनियतसामर्थके कारण ज्ञान प्रात्माका धर्म है ऐसा माने तो । ज्ञान निराकार रहकर ही पदार्थ आत्माको अनित्य मानने का प्रसंग की प्रतिनियत व्यवस्था करता प्राता हो सो बात नहीं है रहता है २८१ अन्य कारणकी अपेक्षाके विना पदार्थको ज्ञानको साकार मानने में भी अन्योन्याजानने वाला ज्ञान है अतः श्रय दोष प्रात २८२ स्वव्यवसायात्मक है ज्ञान यदि पदार्थाकार होता तो उसको लोहेमें प्रविष्ट हुई अग्नि की तरह आत्मा | अहंकार रूपसे प्रतीति होती २८४ २७७ २६४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001276
Book TitlePramey Kamal Marttand Part 1
Original Sutra AuthorPrabhachandracharya
AuthorJinmati Mata
PublisherLala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
Publication Year1972
Total Pages720
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Nyay
File Size15 MB
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