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________________ कौनसे जीव ! तिलोय पण्णत्ति चरक परिव्राजक मूलाचार तत्त्वार्थराजवार्तिक हरिवंशपुराण त्रिलोकसार ८, ५५६-५६४ १२, १२८- १३५४, २१, १० ६,१०३-१०७५४५-५४७ दशपूर्वर चतुर्दश पूर्वधर देशवती स्त्री अध्युत कल्प तक 39 निग्रन्थ अभव्य उपरिम मैवेयक तक उपरिम मैत्रेयक तक उपरिम ग्रैवेयक तक उपरिम ग्रैवेयक ग्रैवेयक तक निर्ग्रन्थ सम्य. उ. मै. से सर्वार्थ. भवन से ब्रह्म. सौधर्म से सर्वार्थ. लन्तवसे " सौधर्मसे अच्युत । अध्युत कल्प तक सौधर्मसे अभ्युत सौधर्म से अभ्युत अभ्युत कल्प संज्ञी पंचे.ति.मि. सहस्रार तक आजीवक भवन से अच्युत dear for free देवोंमें उत्पत्तिक्रम "" असंज्ञी " संज्ञी पंचे.ति.स. भोगभूमिसम्य Jain Education International "" .... ब्रह्मलोक तक तापस भोगभूमिज मि. संज्ञी मिथ्यादृष्टि भवनत्रिक (३-२००) भवनवासी, व्यन्तर **** सहस्रार तक भवनत्रिक उ. मै. से सर्वार्थ. उ. प्र. से सर्वार्थ. उ. मै. से सर्वार्थ. उ. ग्रै. से सर्वार्थ. ब्रह्मोत्तर तक 99 "" **** .... देव ब्रह्मलोक तक सहस्रार तक 97 भवनत्रिक 19 सहस्रार तक भवनवासी, सौधर्मसे अच्युत धर्म-ईशान .... व्यन्तर For Private & Personal Use Only .... (10) ब्रह्मलोक तक .... .... .... .... सहस्रार तक अच्युत तक ज्योतिर्लोकः तक भवनत्रिक 59 99 .... .... आगे जाकर उत्पत्तिप्रकार, सुख, तमस्काय, लौकान्तिक देव, गुणस्थानादिक, सम्यग् - दर्शनप्रहण के कारण, आगति, अवधिविषय, संख्या और योनि, इन सबकी प्ररूपणा करके इस अधिकारको पूर्ण किया है। यहां योनिप्ररूपणा में जो दो गाथायें ( ७००-७०१ ) दी गई हैं वे प्रतियों में यहां उपलब्ध न होकर आगे नौवें अधिकारमें गाथा १० के आगे पायी जाती हैं, जहां वे अप्रकृत हैं । अच्युत तक सौधर्मद्विक www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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