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________________ ८१४ तिलोयपणती [८.३०८सक्कदुगम्मि सहस्सा सोलस एककेक्कनेटदेवीए । चेटुंति चारुअणुवमरूवा परिवारदेवीओ ॥ ३०८ भट्टच उदुगसहस्सा एक्कसहस्सं सणक्कुमारदुगे । बम्हम्मि लंतविंदे कमेण महसुक्कइंदम्मि ॥ ३०९ पंचसया देवीभो होति सहस्सारइंददेवीणं | अड्डाइज्जसयाणि आणदइंदादियच उक्के ॥ ३१० १६०००। ८०००। ४००० । २०१० । १०००। ५०० । २५० । बत्तीससहस्साणि सोहम्मदुगाम्म हॉति वल्लहिया । पत्तेक्कमडेसहस्सा सणकुमारिंद जुगलम्मि ॥ ३१॥ ३२०००। ३२००० । ८०००। ८००० । बम्हिदे दुसहस्सा पंचसयाणि च लेतविंदम्मि । अड्डाइजसयाणि हुवति महसुक्कइंदम्मि ॥ ३१२ २००० । ५०० | २५० । पणवीसजदेवसयं होति सहस्सारइंदवल्लहिया । आणदपाणदभारणअच्चुदइंदाण तेसही॥३१३ १२५ । ६३ । सौधर्म और ईशान इन्द्रकी एक एक ज्येष्ट देवीके सुन्दर व अनुपम रूपवाली सोलह हजार परिवार देवियां होती हैं ॥ ३०८ ॥ १६००० । सानत्कुमार और माहेन्द्र, ब्रम्हेन्द्र, लांतवेन्द्र और महाशुक्र इन्द्रकी एक एक ज्येष्ठ देवीके क्रमसे आठ हजार, चार हजार, दो हजार और एक हजार परिवार देवियां होती हैं ॥ ३०९ ।। स. मा. ८०००, ब्र. ४०००, लां.२००० , म. १००० । सहस्रार इन्द्रकी प्रत्येक ज्येष्ट देवीके पांच सौ परिवार देवियां और आनतेन्द्रादिक चारकी प्रत्येक ज्येष्ठ देवीके अढाई सौ परिवार देवियां होती हैं ॥ ३१० ॥ सह. ५००, आनतेन्द्रारिक चार २५० । सौधर्मद्विकमें प्रत्येक इन्द्रक बत्तीस हजार और सनत्कुमारादि दो इन्द्रोंमें प्रत्येकके आठ हजार वल्लभा देवियां होती हैं ॥ ३११ ॥ सौ. ३२०००, ई. ३२०००, स. ८०००, मा. ८००० । ब्रम्हेन्द्र के दो हजार, लांतवेन्द्र के पांच सौ, और महाशुक्र इन्द्रके अढ़ाई सौ वल्लभा देवियां होती हैं ॥ ३१२ ॥ ब्र. २०००, लां. ५००, म. २५० । ___ सहस्रार इन्द्रके एक सौ पच्चीस और आनत-प्राणत-आरण-अच्युत इन्द्रोंके तिरेसठ वल्लभायें होती हैं ॥ ३१३ ॥ स. १२५, आनतादि ६३ । १द बरूवाणं. २द ब म. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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