________________
-८. ३०७] सत्तमो महाधियारो
[८१३ होदि हु सयंपहक्खं वरजे?सयंजणाणि वग्गू य । ताण पहाणविमाणा सेसेसुं दक्खिणिदेखें ॥ ३०० सोमं सम्बदभद्दा सुभद्दअमिदाणि' सोमपहुदीण । होति पहाणविमाणा सव्वेसु उत्तरिंदाणं ॥ ३०१ ताणं विमाणसंखाउवएसो गथि कालयवसेणं । ते सव्वे वि दिगिंदा तेसु विमाणेसु कीडते ॥ ३०२ सोमजमा समरिद्धी दोषिण वि ते होति दक्खिणिदेसुं । तेसि अधिओ वरुणो वरुणादो होदि धणणाहो ॥ सोमजमा समरिद्धी दोणि वि ते होति उत्तरिंदाण । तेसु कुबेरो अधिभो हुवेदि वरुणो कुबेरादो ॥ इंदपडिंदादीण देवाणं जेत्तियाओ देवीओ । चेटुंति तेत्तियाणि वोच्छामो आणुपुवीए ॥ ३०५ बलणामा अञ्चिणिया ताओ सविंदसरिसणामाओ। एकेकउत्तरिंदे तम्मेत्ता जेटुदेवीओ ॥ ३०६ किण्हा या ये पुराइं रामावइरामरक्खिदा वसुका । वसुमित्ता वसुधम् वसुंधरा सव्वइंदसमणामा ॥
शेष दक्षिण इन्द्रोंमें स्वयंप्रभ, वरज्येष्ठ, अंजन और वल्गु, ये उन लोकपालोंके प्रधान विमान होते हैं ॥ ३०॥
सब उत्तर इन्द्रोंके सोमादिक लोकपालोंके सोम (सम ), सर्वतोभद्र, सुभद्र और अमित नामक प्रधान विमान होते हैं ॥ ३०१ ॥
उन विमानोंकी संख्याका उपदेश कालवश इस समय नहीं है। वे सब लोकपाल उन विमानोंमें क्रीड़ा किया करते हैं ॥ ३०२ ॥
दक्षिण इन्द्रोंके सोम और यम ये दोनों लोकपाल समान ऋद्धिवाले होते हैं। उनसे अधिक वरुण और वरुणसे अधिक कुबेर होता है ॥ ३०३ ॥
उत्तर इन्द्रोंके वे दोनों सोम और यम समान ऋद्धिवाले होते हैं । उनसे अधिक कुबेर और कुबेरसे अधिक वरुण होता है ॥ ३०४ ॥
इन्द्र और प्रतीन्द्रादिक देवोंके जितनी जितनी देवियां होती हैं उनको अनुक्रमसे कहते हैं ॥ ३०५॥
बलनामा अर्चिनिका वे सब इन्द्रोंके सदृश नामवाली होती हैं । एक एक उत्तर इन्द्रके इतनी ही ज्येष्ट देवियां होती हैं ॥ ३०६ ॥
कृष्णा,...(?) रामापति, रामरक्षिता, वसुका, वसुमित्रा, वसुधर्मा, वसुंधरा सब इन्द्रसम नामवाली हैं ॥ ३०७॥
१द बसमिदाणि. . २ द ब तेरियाणं.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org