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________________ -७.५२२] सत्तमो महाधियारो 10१७ तिण्णेव उत्तराभो पुणब्वसू रोहिणी विसाहा य । वीसं च अहोरस्ते तिपणेव य होंति सूरस्स ॥ ५१० ___ म. रा. २०, मु.३। अवसेसा णक्खत्ता पण्णारस वि सूरगदा होति । बारस चेव मुहुत्ता तेरस य समे अहोरत्ते ॥ ५११ __अ. १३, मु. १२ । सत्तढिगयणखंडे मुहुत्तमेत्तेण कमइ जो चंदो । भगणाण गयणखंडे को कालो होइ गमणम्मि ॥ ५३० ६७। १।६३०। अभिजिस्स चंदचारो' सत्तट्ठी खंडिदे मुडुत्तेगे । भागो य सत्तवीसा ते पुण अहिया णवमुहुत्तेहिं ॥ ५३॥ सदभिसभरणीअदा सादी तह अस्सलेसजेट्रा य । एदे छण्णखत्ता पण्णारसमुहृत्तसंजुत्ता ॥ ५२२ १५ तीनों उत्तरा, पुनर्वसु, रोहिणी और विशाखा, ये छह उत्कृष्ट नक्षत्र बीस अहोरात्र और तीन मुहूर्त काल तक सूर्यके साथ गमन करते हैं ॥ ५१८ ॥ उ. न. ग. खण्ड ३०१५; ३०१५ १५० = २०१० अ. रा. = २० अहोरात्रं और ३ मु. अधिक। शेष पन्द्रह ही जयन्य नक्षत्र तेरह अहोरात्र और बारह मुहूर्त काल तक सूर्यके साथ संगत रहते हैं ॥ ५१९ ॥ म. न. ग. खण्ड २०१०; २०१० - १५० - १३१. अ. रा. = १३ अहोरात्रं और १२ मुहूर्त अधिक। - जब चन्द्रमा एक मुहूर्तमें नक्षत्रोंसे सड़सठ गगनखण्ड पीछे रह जाता है तब उनके ( नक्षत्रोंके ) गगनखण्डों तक साथ गमन करनेमें कितना समय लगेगा ? ॥ ५२० ॥ ____ अभिजित् नक्षत्रके गगनखण्डोंमें सड़सठका भाग देनेपर एक मुहूर्तके सड़सठ भागोंमेंसे सत्ताईस भाग अधिक नौ मुहूर्त लब्ध आते हैं । यही चन्द्रमाका अभिजित् नक्षत्रके साथ गमन करनेका कालप्रमाण है ॥ ५२१ ॥अ. न. ग. खण्ड ६३०, ६३० + ६७ = ९३७ मु. का. । शतभिषक्, भरणी, आर्द्रा, स्वाति, आश्लेषा और ज्येष्ठा, ये छह नक्षत्र चन्द्रमाके साथ पन्द्रह मुहूर्त तक रहते हैं ॥ ५२२ ॥ज. ग. खं. १००५, १५०५ * ६७ = १५ मुहूर्त । - १९ व चंदतारो. २६ व.. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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