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७१६] तिलोयपण्णत्ती
[७. ५१२तीसट्ठारसया खलु मुहुत्तकालेण कमइ जइ' सूरो । तो केत्तियकालेणं सयपंचासं कमेइ ति ॥ ५१२
___१८३० । । । १५०। सूरादो णक्खत्तं दिवसमुहुत्तेण जइणतरमाहु । एक्कस्स मुहुत्तस्स य भागं एकढिमे पंच ॥ ५१३
णक्खत्तसीमभागं भजिदे दिवसस्स जइणभागेहिं । लद्धं तु होइ रविससिणखत्ताणं तु संजोगा॥ ५१४ तिसयदलगगणखंडे कमेइ जइ दिणयरो दिणिक्केणं । तउ रिक्खाणं णियणिय णहखंडेगमण को कालो॥
१५०। ।। ६३० अभिजी छच्च मुहुत्ते चत्तारि य केवलो अहोरत्ते । सूरेण समं गच्छदि एत्तो सेसाणि वोच्छामि ॥ ५१६
अ. रा. ४, मु. ६।। सदभिसभरणीअद्दा सादी तह अस्सिलेसजेट्टा य । छञ्चेव अहोरत्ते एकावीसा मुहुत्तेणं ॥ ५१७
अ. रा. ६, मु. २१ ।
: सूर्य जब अठारह सौ तीस गगनखण्डोंको एक मुहूर्तकालमें लांघता है तब वह एक सौ पचास गगनखण्डोंको कितने समयमें लांधेगा ? ॥ ५१२ ॥
१५० * १८३० = १८५३ = ६. मु.। सूर्यकी अपेक्षा नक्षत्र एक दिनमुहूर्तों ( ३० मु.) में एक मुहूर्तके इकसठ भागों से पांच भाग अधिक जविनतर अर्थात् अतिशय वेगवाला है ॥ ५१३ ॥ . सूर्य और चन्द्र एक दिनमें नक्षत्रोंकी अपेक्षा जितने गगनखण्ड पीछे रहते हैं उनका नक्षत्रोंके गगनखण्डोंमें भाग देनेपर जो लब्ध आवे उतने समय तक सूर्य व चन्द्रमाका नक्षत्रोंके साथ संयोग रहता है ॥ ५१४ ॥ - यदि सूर्य एक दिनमें तीन सौके आधे एक सौ पचास गगनखण्ड पीछे रहता है तो नक्षत्रोंके अपने अपने गगनखण्डोंके गमनमें कितना काल लगेगा ? ॥ ५१५॥
__ अभिजित् नक्षत्र चार अहोरात्र और छह मुहूर्त काल तक सूर्य के साथ गमन करता है । यहांसे आगे शेष नक्षत्रोंका कथन करता हूं ॥ ५१६॥
अभि. ग. खं. ६३० १५० = ४३ दिन = ४ अहोरात्र और ६ मुहूर्त अधिक। .
.. शतभिषक् , भरणी, आर्द्रा, स्वाति, आश्लेषा तथा ज्येष्ठा, ये नक्षत्र छह अहोरात्र और इक्कीस मुहूर्त तक सूर्यके साथ गमन करते हैं ॥ ५१७ ॥
ज. न. ग. खण्ड १००५, १००५ : १५० = ६४ दिन = ६ अहोरात्र और २१ मुहूर्त अधिक।
१द ब जं. २द ब णहतडे,
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