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७२४१ तिलोयपण्णत्ती
[७. ३८८णवअटेकतिछक्का अंककमै तिणवसत्तएक्कसा | णभतियअटेक्वहिदा बिदियपहकम्मि पढमपहतिमिरं ॥ ३८८
६३१८९ | १४३३
तियणवएक्कतिछक्का अंकाण कमे दुगेक्कसत्तंसा। पंचेक्कणवविहत्ता बिदियपहक्कम्मि बिदियपहतिमिरं ॥
छण्णवएक्कतिछक्का अंककमे अइदुगट्ठएक्कंसा । गयणतिअटेक्कहिदा बिदियपहक्कम्मि तदियमग्गतमं ॥
एवं मज्झिममग्गंत णेदव्वं ।
तेसटिसहस्सा पणसयाणि तेरस य जोयणा अंसा। चउदालजुइसया बिदियप हकम्मि मज्झमग्गतमं ॥
६३५१३ | १८४०
सूर्यके द्वितीय पथमें स्थित होनेपर प्रथम पथमें तिमिरक्षेत्र नौ, आठ, एक, तीन और छह, इन अंकोंके क्रमसे तिरेसठ हजार एक सौ नवासी योजन और अठारह सौ तीससे भाजित सत्तरह सौ तेरान... भाग अधिक रहता है ॥ ३८८ ॥ ६३१८९२४६३ ।
( = प्र. प. प. ३१५०८९ ४ ३६७ = ११५६३७६६३, ११५६३७६६३ ’ १८३० = ६३१८९१६६३ ।
सूर्यके द्वितीय पथमें स्थित होनेपर द्वितीय पथमें तिमिरक्षेत्र तीन, नौ, एक, तीन और छह, इन अंकोंके क्रमसे तिरेसठ हजार एक सौ तेरानबै योजन और नौ सौ पन्द्रहसे भाजित सात सौ बारह भाग प्रमाण रहता है ॥ ३८९ ।। ६३१९३५१२ ।
सूर्यके द्वितीय पथमें स्थित होनेपर तृतीय मार्ग में तमक्षेत्र छह, नौ, एक, तीन और छह, इन अंकोंके क्रमसे तिरेसठ हजार एक सौ छयानबै योजन और अठारह सौ तीससे भाजित अठारह सौ अट्ठाईस भाग प्रमाण रहता है ।। ३९० ॥ ६३१९६१८२४ ।
इस प्रकार मध्यम मार्ग तक ले जाना चाहिये ।
सूर्यके द्वितीय पथमें स्थित होनेपर मध्यम मार्गमें तमक्षेत्र तिरेसठ हजार पांच सौ तेरह योजन और आठ सौ चवालीस भाग अधिक रहता है ॥ ३९१ ॥ ६३५१३६८४४ ।
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