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-७. १९०]
सत्तमो महाधियारो
सम्मेलिय बासदि इच्छियपरिहीए भागमवहरिदं । तस्सि तस्सि समिणो एक्कमुहस्तम्मि गदिमाण ॥१८५
२०१३१५०८९ । ।
पंचसहस्सं अधिया तेहत्तरजोयणाणि तियकोसा । लद्धं मुहुत्तगमणं पढमपहे सीदकिरणस्स ॥ १८६
५०७३ | को३। सत्तत्तरि सविसेसा पंचसहस्साणि कोसअधियाणि । लद्धं मुहुत्तगमणं चंदस्स दुइजवीहीए ॥ १८७
५०७७ । को । जोयणपंचसहस्सा सीदीजुत्ता य तिषिण कोसाणिं । लद्धं मुहुत्तगमणं चंदस्स तहज्जवीहीए ॥ १८८
५०८० । को । पंचसहस्सा जोयण चुलसीदी तह दुवे कोसा । लद्धं मुहुत्तगमणं चंदस्स चउत्थमग्गम्मि || १८९
५०८४ । को । भट्ठासीदी अधिया पंचसहस्सा य जोयणा कोसो । लद्धं मुहुत्तगमणं पंचममग्गे मियंकस्स ॥ १९०
५०८८ । को ।
समच्छेदरूपसे बासठको मिलाकर उसका इच्छित परिधिमें भाग देने पर उस उस वीथीमें चन्द्रका एक मुहूर्तमें गमनप्रमाण आता है ॥ १८५ ॥
मु. ६२३२३३ = १३५२५ परिधिप्रमाण ३१५०८९ = ६९६३४६ ६९; १९३३३४६.६९ १३५२५ = ५०७३ ७७.४४६ = ५०७३ यो. और ३ को. से कुछ कम ।
__ प्रथम पथमें चन्द्रका एक मुहूर्त सम्बन्धी गमन पांच हजार तिहत्तर योजन और तीन कोश प्रमाण प्राप्त होता है ॥ १८६ ॥ यो. ५०७३ को. ३ ।
द्वितीय वीथीमें चन्द्रका मुहूर्तकालपरिमित गमनक्षेत्र पांच हजार सतत्तर योजन और एक कोशमात्र प्राप्त होता है ॥ १८७ ॥ यो. ५०७७ को. १ ।।
तृतीय वीथीमें चन्द्रका मुहूर्तपरिमित गमनक्षेत्र पांच हजार अस्सी योजन और तीन कोशप्रमाण प्राप्त होता है ॥ १८८ ॥ यो. ५०८० को. ३ ।।
चतुर्थ मार्गमें चन्द्रका मुहूर्तपरिमित गमन पांच हजार चौरासी योजन तथा दो कोशमात्र प्राप्त होता है ॥ १८९ ॥ यो. ५०८४ को. २ ।
पांचवें मार्गमें चन्द्रका मुहूर्तगमन पांच हजार अठासी योजन और एक कोशमात्र प्राप्त होता है ॥ १९० ॥ यो. ५०८८ को. १ ।
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