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2016
. धर्म-वीर सुदर्शन मीठे स्नेह-भरे वचनों से,
कपट - कोप उपशम कीना ॥ शयन-कक्ष में आया राजा,
सेठ सुदर्शन को देखा। क्रोधान्ध हुआ, भड़का तड़का,
सब लुप्त हुई सन्मति - रेखा ।। "रे जालिम ! मक्कार !! कमीने !!!
तेरी इतनी मक्कारी ? घुस आया बेखौफ महल में,
___ बदकारी दिल में धारी ॥" "सेनापति ! ले चलो सभा में,
मैं भी जल्दी आता हूँ । कामुकता उन्मादकता का,
पूरा मजा चखाता हूँ ॥" न्यायालय में स्वर्णासन पर,
राजा बैठा गर्वित है । और सामने सेठ सुदर्शन,
___बंदी बना उपस्थित है ॥ आस-पास में मंत्री दल भी,
बैठा है कुछ चिन्ताग्रस्त । दर्शक जनता की भी भारी,
भीड़ खड़ी है भय से त्रस्त ॥ राजा बोला, “कहो सेठ जी!
_ यह क्या भूत सवार हुआ ? कैसे भीरु हृदय में तेरे,
पैदा यह कुविचार हुआ ?
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