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शूली के पथ पर
मैंने आज बड़ी मुश्किल से,
__अपनी लाज बचाई है। बस, प्रताप से नाथ !
तुम्हारे, इज्जत रहने पाई है । कौन दुष्ट है, कौन नहीं है,
कैसे सहसा आ धमका । देखें शीघ्र वहाँ कमरे में,
पता लगाएँ जालिम का ॥ पूछताछ बिन ही पापी को,
___ शूली तुरत चढ़ा देना । मुझ पर भारी जुल्म हुआ है,
नाथ ! अवश्य बदला लेना ॥ प्राण दुष्ट के हाय-हाय में,
तड़फ - तड़फ कर छूटेंगे । मेरे पीड़ित अन्तस्तल के,
तभी फफोले फूटेंगे । अगर लाज से या दवाब से,
उसे अछूता छोड़ेंगे । तो निश्चय ही मेरे से,
चिर - प्रेम - शृंखला तोड़ेंगे ॥ अपमानित होकर मैं कैसे,
जग में मुँह दिखलाऊँगी ? याद रखें, फाँसी का फंदा,
लगा स्व-प्राण गँवाऊँगी ॥" राजा ने यह सुन रानी को,
__अपने वक्ष लगा लीना ।
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